तिश्नगी क्या है गुलों से पूछिए
अंदलीबों के सुरों से पूछिए
होशमंदी ताजिरों का वस्फ़ है
घर जलाना आशिक़ों से पूछिए
हम गुलूकारे-अमन हैं क्या कहें
तेग़ क्या है क़ातिलों से पूछिए
छोड़ दी पतवार दिल की हाथ से
क्या हुआ फिर साहिलों से पूछिए
आब्ले-पा रास्तों पर नक़्श हैं
दर्दे-पाऊँ मंज़िलों से पूछिए
हम बग़ावत के लिए बदनाम हैं
बे-ज़ुबानी मोमिनों से पूछिए
फ़िक्रे-ईमां मस्'.अला है रूह का
मानिए-सज्दा दिलों से पूछिए !
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: तिश्नगी : सुधा; गुलों : पुष्पों ; अंदलीबों : कोयलों ; होशमंदी : स्थित-प्रज्ञता ; ताजिरों : व्यापारियों ; वस्फ़ : गुण ; गुलूकारे-अमन : शांति के गीत गाने वाले ; तेग़ : कृपाण ; साहिलों : तटों ; आब्ले-पा : पांव के छाले ; दर्दे-पाऊँ : पांवों की पीड़ा ; मंज़िलों : लक्ष्यों ; बग़ावत : विद्रोह ; बदनाम : कुख्यात ; बे-ज़ुबानी : मौन रहना ; मोमिनों : आस्तिकों ; फ़िक्रे-ईमां : आस्था की चिंता ; मस्'.अला : प्रश्न, समस्या ; रूह : आत्मा ; मानिए-सज्दा : भूमिवत प्रणाम का अर्थ ।
अंदलीबों के सुरों से पूछिए
होशमंदी ताजिरों का वस्फ़ है
घर जलाना आशिक़ों से पूछिए
हम गुलूकारे-अमन हैं क्या कहें
तेग़ क्या है क़ातिलों से पूछिए
छोड़ दी पतवार दिल की हाथ से
क्या हुआ फिर साहिलों से पूछिए
आब्ले-पा रास्तों पर नक़्श हैं
दर्दे-पाऊँ मंज़िलों से पूछिए
हम बग़ावत के लिए बदनाम हैं
बे-ज़ुबानी मोमिनों से पूछिए
फ़िक्रे-ईमां मस्'.अला है रूह का
मानिए-सज्दा दिलों से पूछिए !
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: तिश्नगी : सुधा; गुलों : पुष्पों ; अंदलीबों : कोयलों ; होशमंदी : स्थित-प्रज्ञता ; ताजिरों : व्यापारियों ; वस्फ़ : गुण ; गुलूकारे-अमन : शांति के गीत गाने वाले ; तेग़ : कृपाण ; साहिलों : तटों ; आब्ले-पा : पांव के छाले ; दर्दे-पाऊँ : पांवों की पीड़ा ; मंज़िलों : लक्ष्यों ; बग़ावत : विद्रोह ; बदनाम : कुख्यात ; बे-ज़ुबानी : मौन रहना ; मोमिनों : आस्तिकों ; फ़िक्रे-ईमां : आस्था की चिंता ; मस्'.अला : प्रश्न, समस्या ; रूह : आत्मा ; मानिए-सज्दा : भूमिवत प्रणाम का अर्थ ।
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