हम जो भूले से मुस्कुराते हैं
आप दानिश्ता दिल जलाते हैं
दिख रहा है ख़ुलूस आंखों में
देखिए, कब क़रीब आते हैं
दिलबरी का मज़ा यही तो है
दोस्त ही रात-दिन सताते हैं
दुश्मनों की निगाह के सदक़े
आजकल रोज़ घर बुलाते हैं
वो जो सरकार के भरोसे हैं
हर क़दम पर फ़रेब खाते हैं
शोहद:-ए-शाह के बयां सुन कर
शह्र दर शह्र कांप जाते हैं
आस्मां भी उन्हीं की सुनता है
आस्मां सर पे जो उठाते हैं !
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: दानिश्ता: जान-बूझ कर; ख़ुलूस: अपनत्व ; दिलबरी: मनमोहक होना ; सदक़े : बलिहारी ; फ़रेब: छल ; शोहद:-ए-शाह: राजा के समर्थक, उपद्रवी ।
आप दानिश्ता दिल जलाते हैं
दिख रहा है ख़ुलूस आंखों में
देखिए, कब क़रीब आते हैं
दिलबरी का मज़ा यही तो है
दोस्त ही रात-दिन सताते हैं
दुश्मनों की निगाह के सदक़े
आजकल रोज़ घर बुलाते हैं
वो जो सरकार के भरोसे हैं
हर क़दम पर फ़रेब खाते हैं
शोहद:-ए-शाह के बयां सुन कर
शह्र दर शह्र कांप जाते हैं
आस्मां भी उन्हीं की सुनता है
आस्मां सर पे जो उठाते हैं !
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: दानिश्ता: जान-बूझ कर; ख़ुलूस: अपनत्व ; दिलबरी: मनमोहक होना ; सदक़े : बलिहारी ; फ़रेब: छल ; शोहद:-ए-शाह: राजा के समर्थक, उपद्रवी ।
वो जो सरकार के भरोसे हैं
जवाब देंहटाएंहर क़दम पर फ़रेब खाते हैं
शोहद:-ए-शाह के बयां सुन कर
शह्र दर शह्र कांप जाते हैं
आस्मां भी उन्हीं की सुनता है
आस्मां सर पे जो उठाते हैं !
उम्दा :)