मियां मश्ग़ूल हैं फिर से जवां होने की कोशिश में
ज़ईफ़ी में किसी पर मेहरबां होने की कोशिश में
न मिलने का सलीक़ा है न ज़ौक़े-पैरहन उनमें
लतीफ़ा बन गए हैं दास्तां होने की कोशिश में
परिंदों की तरह उड़ना बहुत आसान लगता है
ज़मीं पर आ गिरेंगे आस्मां होने की कोशिश में
हज़ारों हमसफ़र थे मंज़िले-मक़सूद की रह पर
हुए तन्हा अमीरे-कारवां होने की कोशिश में
ख़ुदी की बात है किसको सुनाएं हाल हम दिल का
हुई है चश्म नम फिर बे-ज़ुबां होने की कोशिश में
संभल कर खेलिए साहब इसे शतरंज कहते हैं
न प्यादों से पिटें शाहे-जहां होने की कोशिश में
ख़ुदा जिनको समझती थी हज़ारों साल से दुनिया
हमें दिल दे गए अपना अयां होने की कोशिश में !
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: मश्ग़ूल: तल्लीन, व्यस्त; जवां : युवा; ज़ईफ़ी : वृद्धावस्था; मेह्रबां : कृपालु; सलीक़ा : शिष्टाचार, समझ; ज़ौक़े-पैरहन : वस्त्र-विन्यास की अभिरुचि, समझ; लतीफ़ा : चुटकुला; दास्तां : आख्यान; परिंदों : पक्षियों; जमीं : पृथ्वी; आस्मां : आकाश; हमसफ़र : सहयात्री; मंज़िले-मकसूद : अभीष्ट लक्ष्य; रह : राह, पथ; तन्हा : निस्संग; अमीरे-कारवां : यात्री-समूह का नायक; ख़ुदी : स्वाभिमान; चश्म : नयन; नम : गीले; बे-ज़ुबां : मौन; प्यादों : पैदल सैनिक; शाहे-जहां : संसार का राजा; अयां : प्रकट ।
ज़ईफ़ी में किसी पर मेहरबां होने की कोशिश में
न मिलने का सलीक़ा है न ज़ौक़े-पैरहन उनमें
लतीफ़ा बन गए हैं दास्तां होने की कोशिश में
परिंदों की तरह उड़ना बहुत आसान लगता है
ज़मीं पर आ गिरेंगे आस्मां होने की कोशिश में
हज़ारों हमसफ़र थे मंज़िले-मक़सूद की रह पर
हुए तन्हा अमीरे-कारवां होने की कोशिश में
ख़ुदी की बात है किसको सुनाएं हाल हम दिल का
हुई है चश्म नम फिर बे-ज़ुबां होने की कोशिश में
संभल कर खेलिए साहब इसे शतरंज कहते हैं
न प्यादों से पिटें शाहे-जहां होने की कोशिश में
ख़ुदा जिनको समझती थी हज़ारों साल से दुनिया
हमें दिल दे गए अपना अयां होने की कोशिश में !
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: मश्ग़ूल: तल्लीन, व्यस्त; जवां : युवा; ज़ईफ़ी : वृद्धावस्था; मेह्रबां : कृपालु; सलीक़ा : शिष्टाचार, समझ; ज़ौक़े-पैरहन : वस्त्र-विन्यास की अभिरुचि, समझ; लतीफ़ा : चुटकुला; दास्तां : आख्यान; परिंदों : पक्षियों; जमीं : पृथ्वी; आस्मां : आकाश; हमसफ़र : सहयात्री; मंज़िले-मकसूद : अभीष्ट लक्ष्य; रह : राह, पथ; तन्हा : निस्संग; अमीरे-कारवां : यात्री-समूह का नायक; ख़ुदी : स्वाभिमान; चश्म : नयन; नम : गीले; बे-ज़ुबां : मौन; प्यादों : पैदल सैनिक; शाहे-जहां : संसार का राजा; अयां : प्रकट ।
wow, great suresh..i like your writings
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