अपने तसव्वुरात को आज़ाद कीजिए
बेहतर है अब ख़ुदी पे एतमाद कीजिए
या आप कभी बज़्म की क़िस्मत संवारिए
या ख़ास मवाक़े पे हमें याद कीजिए
जम्हूरे-हिंद आपकी जागीर हो गया
जी भर के लूट खाइए बर्बाद कीजिए
मुमकिन नहीं मुदाव:-ए-ग़म दोस्तियों से
कुछ कीमिय:-ए-कारगर ईजाद कीजिए
कहिए वो बात जिस पे मिले दाद मीर से
ग़ालिब को ग़ज़लगोई में उस्ताद कीजिए
मिलती नहीं निजात फ़िक्रे-रोज़गार से
किस-किस के दर पे रोइए फ़रयाद कीजिए
अब वक़्त आ गया है कि हम अलविदा कहें
दिल को ग़िज़ा-ए-दर्द से फ़ौलाद कीजिए !
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: तसव्वुरात: कल्पनाएं, विचारों; ख़ुदी: स्वाभिमान,आत्म-बल; एतमाद: विश्वास; बज़्म: गोष्ठी; ख़ास मवाक़े: विशिष्ट अवसरों; जम्हूरे-हिंद : भारतीय लोकतंत्र, जागीर : अधिकृत क्षेत्र; मुमकिन: संभव; मुदाव:-ए-ग़म: दुःख का उपचार/ समाधान; कीमिय:-ए-कारगर: प्रभावी रसायन; ईजाद: आविष्कृत; दाद: सराहना; मीर : हज़रत मीर तक़ी 'मीर', हज़रत मिर्ज़ा ग़ालिब के पूर्ववर्त्ती महान उर्दू शायर; ग़ज़लगोई: ग़ज़ल-कथन/ लेखन; उस्ताद : गुरु; निजात: मुक्ति; फ़िक्रे-रोज़गार: आजीविका की चिंता; दर: द्वार; फ़रयाद: निवेदन; अलविदा: अंतिम प्रणाम; ग़िज़ा-ए-दर्द :पीड़ा रूपी पौष्टिक तत्व/ विटामिन; फ़ौलाद: इस्पात ।
बेहतर है अब ख़ुदी पे एतमाद कीजिए
या आप कभी बज़्म की क़िस्मत संवारिए
या ख़ास मवाक़े पे हमें याद कीजिए
जम्हूरे-हिंद आपकी जागीर हो गया
जी भर के लूट खाइए बर्बाद कीजिए
मुमकिन नहीं मुदाव:-ए-ग़म दोस्तियों से
कुछ कीमिय:-ए-कारगर ईजाद कीजिए
कहिए वो बात जिस पे मिले दाद मीर से
ग़ालिब को ग़ज़लगोई में उस्ताद कीजिए
मिलती नहीं निजात फ़िक्रे-रोज़गार से
किस-किस के दर पे रोइए फ़रयाद कीजिए
अब वक़्त आ गया है कि हम अलविदा कहें
दिल को ग़िज़ा-ए-दर्द से फ़ौलाद कीजिए !
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: तसव्वुरात: कल्पनाएं, विचारों; ख़ुदी: स्वाभिमान,आत्म-बल; एतमाद: विश्वास; बज़्म: गोष्ठी; ख़ास मवाक़े: विशिष्ट अवसरों; जम्हूरे-हिंद : भारतीय लोकतंत्र, जागीर : अधिकृत क्षेत्र; मुमकिन: संभव; मुदाव:-ए-ग़म: दुःख का उपचार/ समाधान; कीमिय:-ए-कारगर: प्रभावी रसायन; ईजाद: आविष्कृत; दाद: सराहना; मीर : हज़रत मीर तक़ी 'मीर', हज़रत मिर्ज़ा ग़ालिब के पूर्ववर्त्ती महान उर्दू शायर; ग़ज़लगोई: ग़ज़ल-कथन/ लेखन; उस्ताद : गुरु; निजात: मुक्ति; फ़िक्रे-रोज़गार: आजीविका की चिंता; दर: द्वार; फ़रयाद: निवेदन; अलविदा: अंतिम प्रणाम; ग़िज़ा-ए-दर्द :पीड़ा रूपी पौष्टिक तत्व/ विटामिन; फ़ौलाद: इस्पात ।
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