आशिक़ी को उसूल मत कीजे
ये: ख़तरनाक भूल मत कीजे
शौक़ जल्व:गरी का भी रखिए
हर कहीं तो नज़ूल मत कीजे
दोस्तों से दुआओं के बदले
कोई हदिया वसूल मत कीजे
जब तलक सामने न हो मक़सद
तोहफ़:-ए-दिल क़ुबूल मत कीजे
दिल दुखाना शग़ल है दुनिया का
मुफ़्त में दिल मलूल मत कीजे
हर गली में ख़ुदाओं के घर हैं
आप सज्दा फ़ुज़ूल मत कीजे
हैं हमारे ख़ुतूत पाक़ीज़ा
नक़्श कीजे नुक़ूल मत कीजे !
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: आशिक़ी: प्रेम में पड़ना; उसूल: सिद्धांत; जल्व:गरी :बनना-संवरना, दिव्य रूप में प्रकट होना; नज़ूल : प्रदर्शित; हदिया: दक्षिणा, शुल्क; मक़सद: उद्देश्य; तोहफ़:-ए-दिल : हृदय रूपी उपहार, प्रेमोपहार; क़ुबूल: स्वीकार; शग़ल: समय बिताने का माध्यम; मलूल: खिन्न, मलिन; सज्दा: भूमिवत प्रणाम; फ़ुज़ूल: व्यर्थ, निरर्थक; ख़ुतूत: हस्तलिखित पत्र, हस्तलिपि, अक्षर; पाक़ीज़ा: पवित्र , नि:कलंक; नक़्श: हृदय में अंकित, यंत्र बना कर भुजा या कंठ में धारण करना; नुक़ूल : प्रतिलिपियां ।
ये: ख़तरनाक भूल मत कीजे
शौक़ जल्व:गरी का भी रखिए
हर कहीं तो नज़ूल मत कीजे
दोस्तों से दुआओं के बदले
कोई हदिया वसूल मत कीजे
जब तलक सामने न हो मक़सद
तोहफ़:-ए-दिल क़ुबूल मत कीजे
दिल दुखाना शग़ल है दुनिया का
मुफ़्त में दिल मलूल मत कीजे
हर गली में ख़ुदाओं के घर हैं
आप सज्दा फ़ुज़ूल मत कीजे
हैं हमारे ख़ुतूत पाक़ीज़ा
नक़्श कीजे नुक़ूल मत कीजे !
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: आशिक़ी: प्रेम में पड़ना; उसूल: सिद्धांत; जल्व:गरी :बनना-संवरना, दिव्य रूप में प्रकट होना; नज़ूल : प्रदर्शित; हदिया: दक्षिणा, शुल्क; मक़सद: उद्देश्य; तोहफ़:-ए-दिल : हृदय रूपी उपहार, प्रेमोपहार; क़ुबूल: स्वीकार; शग़ल: समय बिताने का माध्यम; मलूल: खिन्न, मलिन; सज्दा: भूमिवत प्रणाम; फ़ुज़ूल: व्यर्थ, निरर्थक; ख़ुतूत: हस्तलिखित पत्र, हस्तलिपि, अक्षर; पाक़ीज़ा: पवित्र , नि:कलंक; नक़्श: हृदय में अंकित, यंत्र बना कर भुजा या कंठ में धारण करना; नुक़ूल : प्रतिलिपियां ।
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, सरकारी बैंक की भर्ती - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
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