हौसले पर मेरे नज़र रखिए
तो बहुत दूर तक ख़बर रखिए
शौक़ परवाज़ का किया है तो
ख़्वाहिशों में हसीन पर रखिए
ख़्वाब को छीन लें हक़ीक़त से
वक़्त पर इस क़दर असर रखिए
हुस्न काफ़ी नहीं करिश्मे को
हाथ में इश्क़ का हुनर रखिए
रिंद हो शैख़ हों कि दीवाने
क्यूं किसी जाम में ज़हर रखिए
बंदगी जान को न आ जाए
सब्र रखिए कि दर्दे-सर रखिए
कोई शायर ख़ुदा नहीं होता
ये: अना आप अपने घर रखिए !
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: हौसले: उत्साह; नज़र: दृष्टि; परवाज़ : उड़ान; ख़्वाहिशों : इच्छाओं; हसीन: सुंदर; पर: पंख; ख़्वाब: स्वप्न; हक़ीक़त: यथार्थ;
क़दर: अधिक; असर: प्रभाव; हुस्न: सौंदर्य; काफ़ी: पर्याप्त; करिश्मे: चमत्कार; हुनर: कौशल; रिंद : मदिरा-प्रेमी; शैख़: धर्मोपदेशक;
दीवाने: प्रेमोन्मत्त; जाम: मदिरा-पात्र; बंदगी : भक्ति; सब्र : धैर्य; दर्दे-सर : शिरो-पीड़ा; अना: घमण्ड ।
तो बहुत दूर तक ख़बर रखिए
शौक़ परवाज़ का किया है तो
ख़्वाहिशों में हसीन पर रखिए
ख़्वाब को छीन लें हक़ीक़त से
वक़्त पर इस क़दर असर रखिए
हुस्न काफ़ी नहीं करिश्मे को
हाथ में इश्क़ का हुनर रखिए
रिंद हो शैख़ हों कि दीवाने
क्यूं किसी जाम में ज़हर रखिए
बंदगी जान को न आ जाए
सब्र रखिए कि दर्दे-सर रखिए
कोई शायर ख़ुदा नहीं होता
ये: अना आप अपने घर रखिए !
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: हौसले: उत्साह; नज़र: दृष्टि; परवाज़ : उड़ान; ख़्वाहिशों : इच्छाओं; हसीन: सुंदर; पर: पंख; ख़्वाब: स्वप्न; हक़ीक़त: यथार्थ;
क़दर: अधिक; असर: प्रभाव; हुस्न: सौंदर्य; काफ़ी: पर्याप्त; करिश्मे: चमत्कार; हुनर: कौशल; रिंद : मदिरा-प्रेमी; शैख़: धर्मोपदेशक;
दीवाने: प्रेमोन्मत्त; जाम: मदिरा-पात्र; बंदगी : भक्ति; सब्र : धैर्य; दर्दे-सर : शिरो-पीड़ा; अना: घमण्ड ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें