लोग जितना ग़ुरूर रखते हैं
क्या मुनासिब शुऊर रखते हैं
एक धेला न हो कभी घर में
हम ख़ुदी तो ज़ुरूर रखते हैं
अस्र अत्फ़ाल पर न आ जाए
घर फ़रिश्तों से दूर रखते हैं
आप ही मुतमईं नहीं वरना
दिल तो हम भी हुज़ूर रखते हैं
आपको क्या ख़बर कि सीने में
सिर्फ़ हम कोहे-नूर रखते हैं
आप तो शाह हैं, सज़ा दे लें
गर सुबूते-क़ुसूर रखते हैं
आएंगे अर्शे-नुहुम भी तेरे
हौसला-ए-तुयूर रखते हैं !
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: ग़ुरूर : अभिमान; मुनासिब : समुचित; शुऊर : संस्कार, शिष्टता; ख़ुदी : स्वाभिमान; अस्र : प्रभाव; अत्फ़ाल : बच्चों; फ़रिश्तों : तथाकथित देवदूतों; मुतमईं : आश्वस्त; वरना : अन्यथा; हुज़ूर: श्रीमान, माननीय; कोहे-नूर: प्रकाश-पर्वत,विश्वविख्यात हीरा; गर: यदि ; सुबूते-क़ुसूर : अपराध का साक्ष्य; अर्शे-नुहुम: नवम आकाश, इस्लामी मिथक के अनुसार ख़ुदा का निवास, स्वर्ग; हौसला-ए-तुयूर : पक्षियों का साहस ।
क्या मुनासिब शुऊर रखते हैं
एक धेला न हो कभी घर में
हम ख़ुदी तो ज़ुरूर रखते हैं
अस्र अत्फ़ाल पर न आ जाए
घर फ़रिश्तों से दूर रखते हैं
आप ही मुतमईं नहीं वरना
दिल तो हम भी हुज़ूर रखते हैं
आपको क्या ख़बर कि सीने में
सिर्फ़ हम कोहे-नूर रखते हैं
आप तो शाह हैं, सज़ा दे लें
गर सुबूते-क़ुसूर रखते हैं
आएंगे अर्शे-नुहुम भी तेरे
हौसला-ए-तुयूर रखते हैं !
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: ग़ुरूर : अभिमान; मुनासिब : समुचित; शुऊर : संस्कार, शिष्टता; ख़ुदी : स्वाभिमान; अस्र : प्रभाव; अत्फ़ाल : बच्चों; फ़रिश्तों : तथाकथित देवदूतों; मुतमईं : आश्वस्त; वरना : अन्यथा; हुज़ूर: श्रीमान, माननीय; कोहे-नूर: प्रकाश-पर्वत,विश्वविख्यात हीरा; गर: यदि ; सुबूते-क़ुसूर : अपराध का साक्ष्य; अर्शे-नुहुम: नवम आकाश, इस्लामी मिथक के अनुसार ख़ुदा का निवास, स्वर्ग; हौसला-ए-तुयूर : पक्षियों का साहस ।
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