कोई खिड़की कोई दरवाज़ा मिले
कर्बे-जन्नत में हवा ताज़ा मिले
तीरगी ने जान ले ली चांद की
शाहे-मौसम को ये आवाज़ा मिले
दौरे- हिज्रां एक दिन भी है बहुत
बाद उसके रोज़ ख़मियाज़ा मिले
हो कभी बादे-सबा मेहमां मेरी
मौजे-दिल को मख़मली गाज़ा मिले
हों मुकम्मल जंग की तैयारियां
दुश्मनों का कोई अंदाज़ा मिले
ख़ुल्द है या काले पानी की सज़ा
शायरी का गर न शीराज़ा मिले !
( 2016 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: कर्बे-जन्नत: स्वर्ग की यातना; तीरगी: अंधकार; शाहे-मौसम: ऋतुओं काराजा, बसंत; आवाज़ा: श्रेय, यशोकीर्त्ति; दौरे- हिज्रां: वियोग-काल; ख़मियाज़ा :क्षति-पूर्त्ति; बादे-सबा :प्रातःसमीर; मौजे-दिल: मन की तरंग; गाज़ा : झूला; मुकम्मल: परिपूर्ण; जंग : युद्ध; अंदाज़ा : अनुमान; ख़ुल्द: स्वर्ग; काला पानी: (उर्दू में अप्रचलित, ) अंग्रेज़ों के राज में अंडमान के कारागार में बंदी बनाना;
शीराज़ा: संकलन ।
कर्बे-जन्नत में हवा ताज़ा मिले
तीरगी ने जान ले ली चांद की
शाहे-मौसम को ये आवाज़ा मिले
दौरे- हिज्रां एक दिन भी है बहुत
बाद उसके रोज़ ख़मियाज़ा मिले
हो कभी बादे-सबा मेहमां मेरी
मौजे-दिल को मख़मली गाज़ा मिले
हों मुकम्मल जंग की तैयारियां
दुश्मनों का कोई अंदाज़ा मिले
ख़ुल्द है या काले पानी की सज़ा
शायरी का गर न शीराज़ा मिले !
( 2016 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: कर्बे-जन्नत: स्वर्ग की यातना; तीरगी: अंधकार; शाहे-मौसम: ऋतुओं काराजा, बसंत; आवाज़ा: श्रेय, यशोकीर्त्ति; दौरे- हिज्रां: वियोग-काल; ख़मियाज़ा :क्षति-पूर्त्ति; बादे-सबा :प्रातःसमीर; मौजे-दिल: मन की तरंग; गाज़ा : झूला; मुकम्मल: परिपूर्ण; जंग : युद्ध; अंदाज़ा : अनुमान; ख़ुल्द: स्वर्ग; काला पानी: (उर्दू में अप्रचलित, ) अंग्रेज़ों के राज में अंडमान के कारागार में बंदी बनाना;
शीराज़ा: संकलन ।
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