नर्मो-नाज़ुक गुलाब है उर्दू
सादगी का सवाब है उर्दू
हसरतों का हिसाब है उर्दू
ख़्वाहिशों की किताब है उर्दू
कोई चंग़ेज़ कोई हिटलर हो
ज़ुल्मतों का जवाब है उर्दू
क़स्रे-उम्मीद की दुआ जैसी
ख़्वाबे -ख़ाना ख़राब है उर्दू
पी के मसरूर हैं इबादत में
मोमिनों की शराब है उर्दू
ख़ू-ए-ख़ुसरो से रूहे-ग़ालिब तक
शायरी का शबाब है उर्दू
कमनसीबों से पूछ कर देखो
दर्द का इंतेख़ाब है उर्दू !
(2015)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: नर्मो-नाज़ुक: कोमल एवं क्षणभंगुर; सादगी: शालीनता; सवाब: पुण्य; हसरतों: अभिलाषाओं; ख़्वाहिशों: इच्छाओं; चंग़ेज़: मध्य युग का एक मंगोल आक्रमणकारी, अत्याचारी शासक; ज़ुल्मतों: अत्याचारों; क़स्रे-उम्मीद: आशाओं का महल; ख़्वाबे -ख़ाना ख़राब: गृह-विहीन यायावर का स्वप्न; मसरूर: मदालस; मोमिनों: आस्तिकों; ख़ू-ए-ख़ुसरो: 14वीं सदी के महान शायर, उर्दू के जनक की अस्मिता; रूहे-ग़ालिब: 19 वीं शताब्दी के उर्दू के महानतम शायर, हज़रत मिर्ज़ा ग़ालिब (के काव्य) की आत्मा; शबाब: उत्स, यौवन; कमनसीबों: भाग्यहीनों; इंतेख़ाब: चयन।
सादगी का सवाब है उर्दू
हसरतों का हिसाब है उर्दू
ख़्वाहिशों की किताब है उर्दू
कोई चंग़ेज़ कोई हिटलर हो
ज़ुल्मतों का जवाब है उर्दू
क़स्रे-उम्मीद की दुआ जैसी
ख़्वाबे -ख़ाना ख़राब है उर्दू
पी के मसरूर हैं इबादत में
मोमिनों की शराब है उर्दू
ख़ू-ए-ख़ुसरो से रूहे-ग़ालिब तक
शायरी का शबाब है उर्दू
कमनसीबों से पूछ कर देखो
दर्द का इंतेख़ाब है उर्दू !
(2015)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: नर्मो-नाज़ुक: कोमल एवं क्षणभंगुर; सादगी: शालीनता; सवाब: पुण्य; हसरतों: अभिलाषाओं; ख़्वाहिशों: इच्छाओं; चंग़ेज़: मध्य युग का एक मंगोल आक्रमणकारी, अत्याचारी शासक; ज़ुल्मतों: अत्याचारों; क़स्रे-उम्मीद: आशाओं का महल; ख़्वाबे -ख़ाना ख़राब: गृह-विहीन यायावर का स्वप्न; मसरूर: मदालस; मोमिनों: आस्तिकों; ख़ू-ए-ख़ुसरो: 14वीं सदी के महान शायर, उर्दू के जनक की अस्मिता; रूहे-ग़ालिब: 19 वीं शताब्दी के उर्दू के महानतम शायर, हज़रत मिर्ज़ा ग़ालिब (के काव्य) की आत्मा; शबाब: उत्स, यौवन; कमनसीबों: भाग्यहीनों; इंतेख़ाब: चयन।
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार 15 दिसम्बर 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
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