ये तेरी निगाह का वह् म है कि तू था जहां मैं वहां न था
ज़रा दिल में अपने तलाश कर कि मैं कब न था मैं कहां न था
मेरी मुश्किलात के दौर में तेरा हाथ सर पे रहा सदा
मैं तुझे मदद को पुकारता, मेरा दर्द इतना जवां न था
तेरी आशनाई हसीन थी तेरा साथ-संग अज़ीज़ था
तुझे जान कर भी न पा सका तेरा नक़्श मुझ पे अयां न था
कभी दिल झुका कभी सर झुका कभी रूह सज्द: गुज़ार थी
मैं तेरे क़रीब न आ सका कि जबीं पे कोई निशां न था
कभी था ख़ुदी का ख़्याल तो कभी था वफ़ाओं का वास्ता
रहा हर जनम तेरा आशना किसी और दिल में मकां न था
मैं ख़्याल बन के न आ सकूं तेरी राह इतनी कठिन न थी
कोई देस ऐसा मिला नहीं मेरा इंतज़ार जहां न था
तेरा शुक्रिया मेरे ख़ैरख्वाः कि हंसी-ख़ुशी से गुज़र गई
मैं चला डगर पे जहां तेरी कहीं हस्रतों का धुवां न था !
(2015)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: वह् म: भ्रम; मुश्किलात: कठिनाइयों; दौर: काल-खंड; जवां: बड़ा, युवा; आशनाई: मित्रता; हसीन: सुंदर; अज़ीज़: प्रिय;
नक़्श: आकृति; अयां: प्रकट, स्पष्ट; रूह: आत्मा; सज्द: गुज़ार: नत-मस्तक; जबीं: भाल; निशां: चिह्न; ख़ुदी: आत्म-सम्मान;
ख़्याल: विचार; वफ़ाओं: आस्थाओं; वास्ता: आग्रह; आशना: साथी, प्रेमी; मकां:निवास; ख़ैरख्वाः : शुभ चिंतक; हस्रतों: अभिलाषाओं;
धुवां: धुंधलका, अंधकार ।
ज़रा दिल में अपने तलाश कर कि मैं कब न था मैं कहां न था
मेरी मुश्किलात के दौर में तेरा हाथ सर पे रहा सदा
मैं तुझे मदद को पुकारता, मेरा दर्द इतना जवां न था
तेरी आशनाई हसीन थी तेरा साथ-संग अज़ीज़ था
तुझे जान कर भी न पा सका तेरा नक़्श मुझ पे अयां न था
कभी दिल झुका कभी सर झुका कभी रूह सज्द: गुज़ार थी
मैं तेरे क़रीब न आ सका कि जबीं पे कोई निशां न था
कभी था ख़ुदी का ख़्याल तो कभी था वफ़ाओं का वास्ता
रहा हर जनम तेरा आशना किसी और दिल में मकां न था
मैं ख़्याल बन के न आ सकूं तेरी राह इतनी कठिन न थी
कोई देस ऐसा मिला नहीं मेरा इंतज़ार जहां न था
तेरा शुक्रिया मेरे ख़ैरख्वाः कि हंसी-ख़ुशी से गुज़र गई
मैं चला डगर पे जहां तेरी कहीं हस्रतों का धुवां न था !
(2015)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: वह् म: भ्रम; मुश्किलात: कठिनाइयों; दौर: काल-खंड; जवां: बड़ा, युवा; आशनाई: मित्रता; हसीन: सुंदर; अज़ीज़: प्रिय;
नक़्श: आकृति; अयां: प्रकट, स्पष्ट; रूह: आत्मा; सज्द: गुज़ार: नत-मस्तक; जबीं: भाल; निशां: चिह्न; ख़ुदी: आत्म-सम्मान;
ख़्याल: विचार; वफ़ाओं: आस्थाओं; वास्ता: आग्रह; आशना: साथी, प्रेमी; मकां:निवास; ख़ैरख्वाः : शुभ चिंतक; हस्रतों: अभिलाषाओं;
धुवां: धुंधलका, अंधकार ।
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