तुम्हें गर शौक़ है दूरी बढ़ाने का
हमें है शौक़ ख़ुद को आज़माने का
अदा में आपकी कुछ बचपना-सा है
सलीक़ा सीख लीजे दिल लगाने का
हज़ारों बार वो रूठा किए हमसे
नहीं सीखा हुनर लेकिन मनाने का
किया दावा वफ़ा का आपने हर दिन
तहैया कीजिए वादा निभाने का
हवाओं के इरादों पर नज़र रखिए
करेंगी हर जतन शम्'.अ बुझाने का
बग़ावत के लिए तैयार रहिएगा
अगर है हौसला कुछ कर दिखाने का
इबादत इश्क़ की मानिंद की हमने
न होगा कुफ़्र हमसे सर झुकाने का !
(2015)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: गर: यदि; अदा: व्यवहार; सलीक़ा: ढंग; हुनर: कौशल; वफ़ा: निष्ठा; तहैया: निश्चय; वादा: संकल्प; जतन: यत्न; बग़ावत: विद्रोह; इबादत: पूजा; मानिंद: भांति; कुफ़्र: अधर्म, पाप ।
हमें है शौक़ ख़ुद को आज़माने का
अदा में आपकी कुछ बचपना-सा है
सलीक़ा सीख लीजे दिल लगाने का
हज़ारों बार वो रूठा किए हमसे
नहीं सीखा हुनर लेकिन मनाने का
किया दावा वफ़ा का आपने हर दिन
तहैया कीजिए वादा निभाने का
हवाओं के इरादों पर नज़र रखिए
करेंगी हर जतन शम्'.अ बुझाने का
बग़ावत के लिए तैयार रहिएगा
अगर है हौसला कुछ कर दिखाने का
इबादत इश्क़ की मानिंद की हमने
न होगा कुफ़्र हमसे सर झुकाने का !
(2015)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: गर: यदि; अदा: व्यवहार; सलीक़ा: ढंग; हुनर: कौशल; वफ़ा: निष्ठा; तहैया: निश्चय; वादा: संकल्प; जतन: यत्न; बग़ावत: विद्रोह; इबादत: पूजा; मानिंद: भांति; कुफ़्र: अधर्म, पाप ।
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