आ रहा है आसमां से रोज़ दावा इश्क़ का
सोचते हैं आज कर ही लें इरादा इश्क़ का
ताइरे-उम्मीद के इतने बुरे दिन आ गए
दिन-ब-दिन सय्याद करता है तक़ाज़ा इश्क़ का
मिट गई तहज़ीब जबसे क़ैस-ओ-फ़रहाद की
रोज़ करते-तोड़ते हैं लोग वादा इश्क़ का
आप भी तो हाथ से दिल छीन कर चलते बने
क्या बताएं आपको क्या है मुदावा इश्क़ का
बदज़नी, बदकारियां, बे-हुरमती, दौरे-जिना:
देख ही ले ख़ूब दुनिया अब ख़राबा इश्क़ का
कुछ बहारों की अना तो कुछ ग़ुरूरे-बाग़बां
आशिक़े-गुलशन सजाते हैं जनाज़ा इश्क़ का
साफ़ कहिए, आपको अब रास हम आते नहीं
क्या ज़रूरी है किया जाए दिखावा इश्क़ का ?
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: ताइरे-उम्मीद: आशाओं के पक्षी; सय्याद: बहेलिया; तक़ाज़ा: पुनर्स्मरण कराना, मांगना; तहज़ीब: सभ्यता; क़ैस-ओ-फ़रहाद: लैला और शीरीं के प्रेमी, मिथकीय चरित्र; मुदावा : उपचार ; बदज़नी: द्वेष; बदकारियां: दुराचार; बे-हुरमती: स्त्रियॉं का शील-भंग; दौरे-जिनां: अवैध संबंधों का युग; ख़राबा: बर्बादी, विकार; अना: अहंकार; ग़ुरूरे-बाग़बां: माली का घमंड; आशिक़े-गुलशन: उपवन के प्रेमी; जनाज़ा: अर्थी।
सोचते हैं आज कर ही लें इरादा इश्क़ का
ताइरे-उम्मीद के इतने बुरे दिन आ गए
दिन-ब-दिन सय्याद करता है तक़ाज़ा इश्क़ का
मिट गई तहज़ीब जबसे क़ैस-ओ-फ़रहाद की
रोज़ करते-तोड़ते हैं लोग वादा इश्क़ का
आप भी तो हाथ से दिल छीन कर चलते बने
क्या बताएं आपको क्या है मुदावा इश्क़ का
बदज़नी, बदकारियां, बे-हुरमती, दौरे-जिना:
देख ही ले ख़ूब दुनिया अब ख़राबा इश्क़ का
कुछ बहारों की अना तो कुछ ग़ुरूरे-बाग़बां
आशिक़े-गुलशन सजाते हैं जनाज़ा इश्क़ का
साफ़ कहिए, आपको अब रास हम आते नहीं
क्या ज़रूरी है किया जाए दिखावा इश्क़ का ?
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: ताइरे-उम्मीद: आशाओं के पक्षी; सय्याद: बहेलिया; तक़ाज़ा: पुनर्स्मरण कराना, मांगना; तहज़ीब: सभ्यता; क़ैस-ओ-फ़रहाद: लैला और शीरीं के प्रेमी, मिथकीय चरित्र; मुदावा : उपचार ; बदज़नी: द्वेष; बदकारियां: दुराचार; बे-हुरमती: स्त्रियॉं का शील-भंग; दौरे-जिनां: अवैध संबंधों का युग; ख़राबा: बर्बादी, विकार; अना: अहंकार; ग़ुरूरे-बाग़बां: माली का घमंड; आशिक़े-गुलशन: उपवन के प्रेमी; जनाज़ा: अर्थी।
बहुत खुबसूरत एहसास पिरोये है अपने......
जवाब देंहटाएंबहुत ही सार्थक प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएं