इस क़दर रास आए वीराने
महफ़िलों में सजाए वीराने
दौलते-दिल लुटाई रातों में
और दिन में कमाए वीराने
बेरुख़ी की दुहाई देते थे
जब मिले साथ लाए वीराने
बेख़ुदी में गले लगा बैठे
उन्स ने यूं मिटाए वीराने
वस्ल की शब गुज़र गई यूं ही
सुब्ह तक गुनगुनाए वीराने
दिल जतन से छिपाए रखता था
चश्मे-तर ने लुटाए वीराने
नफ़रतों ने शहर मिटा डाले
दुश्मनों ने बसाए वीराने
वो: न समझे हमें न हम उनको
ख़ुल्द में याद आए वीराने !
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: दौलते-दिल: मन की समृद्धि; बेरुख़ी: उपेक्षा; बेख़ुदी: आत्म-विस्मृति; उन्स: अनुराग;
वस्ल की शब: मिलन-निशा; चश्मे-तर: भीगी आंखें; ख़ुल्द: स्वर्ग ।
महफ़िलों में सजाए वीराने
दौलते-दिल लुटाई रातों में
और दिन में कमाए वीराने
बेरुख़ी की दुहाई देते थे
जब मिले साथ लाए वीराने
बेख़ुदी में गले लगा बैठे
उन्स ने यूं मिटाए वीराने
वस्ल की शब गुज़र गई यूं ही
सुब्ह तक गुनगुनाए वीराने
दिल जतन से छिपाए रखता था
चश्मे-तर ने लुटाए वीराने
नफ़रतों ने शहर मिटा डाले
दुश्मनों ने बसाए वीराने
वो: न समझे हमें न हम उनको
ख़ुल्द में याद आए वीराने !
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: दौलते-दिल: मन की समृद्धि; बेरुख़ी: उपेक्षा; बेख़ुदी: आत्म-विस्मृति; उन्स: अनुराग;
वस्ल की शब: मिलन-निशा; चश्मे-तर: भीगी आंखें; ख़ुल्द: स्वर्ग ।
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