दर्द को चाहिए ज़मीं दिल की
काश ! रह जाए बात साइल की
हाथ रख दे दुआओं का सर पर
नब्ज़ हो जाए रवां बिस्मिल की
कोई हो जो रखे शम्'अ रौशन
बुझ रही है उम्मीद महफ़िल की
हम कहां रुक गए, कहां पहुंचे
है परेशां निगाह मंज़िल की
कोई तूफ़ां बहा न ले जाए
सांस अटकी हुई है साहिल की
दाग़ दिल के छुपा नहीं पाते
बात करते हैं आंख के तिल की
साथ ले आए हैं क़फ़न हम भी
देख लेंगे अदाएं क़ातिल की !
( 2014 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: साइल: याचक; नब्ज़: स्पंदन; रवां: गतिमान; बिस्मिल: घायल; रौशन: प्रज्ज्वलित; महफ़िल: गोष्ठी, सभा;
परेशां: विचलित; मंज़िल: लक्ष्य; तूफ़ां: झंझावात; साहिल: तटबंध; अदाएं: मुद्राएं ।
काश ! रह जाए बात साइल की
हाथ रख दे दुआओं का सर पर
नब्ज़ हो जाए रवां बिस्मिल की
कोई हो जो रखे शम्'अ रौशन
बुझ रही है उम्मीद महफ़िल की
हम कहां रुक गए, कहां पहुंचे
है परेशां निगाह मंज़िल की
कोई तूफ़ां बहा न ले जाए
सांस अटकी हुई है साहिल की
दाग़ दिल के छुपा नहीं पाते
बात करते हैं आंख के तिल की
साथ ले आए हैं क़फ़न हम भी
देख लेंगे अदाएं क़ातिल की !
( 2014 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: साइल: याचक; नब्ज़: स्पंदन; रवां: गतिमान; बिस्मिल: घायल; रौशन: प्रज्ज्वलित; महफ़िल: गोष्ठी, सभा;
परेशां: विचलित; मंज़िल: लक्ष्य; तूफ़ां: झंझावात; साहिल: तटबंध; अदाएं: मुद्राएं ।
आपकी लिखी रचना बुधवार 30 अप्रेल 2014 को लिंक की जाएगी...............
जवाब देंहटाएंhttp://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
बेहतरीन रचना , सुरेश भाई बहुत बढ़िया रचना , धन्यवाद ! एक नज़र मेरे ब्लोगों पर भी -
जवाब देंहटाएंInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
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