जो तलबगार नहीं है
वो: मिरा यार नहीं है
मुआमला-ए-नज़र है
दिल गुनहगार नहीं है
ख़्वाब बेताब हैं बहुत
रात बेज़ार नहीं है
गर्मिए-इश्क़ है ज़रा
कोई आज़ार नहीं है
आप ज़रयाब ही सही
इश्क़ बाज़ार नहीं है
ख़्वाबे-आवारगी हूं मैं
मेरा घरबार नहीं है
लाख पसमांदगी सही
राह दुश्वार नहीं है
बेशक़ीमत वफ़ाएं हैं
तू ख़रीदार नहीं है
मैं रहे-इंक़ेलाब हूं
वक़्त तैयार नहीं है !
( 2014 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: तलबगार: इच्छुक; मुआमला-ए-नज़र: दृष्टि-दोष; गुनहगार: अपराधी; बेताब: उत्कंठित; बेज़ार: चिंतित; गर्मिए-इश्क़: प्रेम का ताप; आज़ार: रोग; ज़रयाब: समृद्ध; यायावरी का स्वप्न; पसमांदगी: थकान; दुश्वार: कठिन; बेशक़ीमत: अति-मूल्यवान; वफ़ाएं: आस्थाएं; रहे-इंक़ेलाब: क्रांति का मार्ग।
वो: मिरा यार नहीं है
मुआमला-ए-नज़र है
दिल गुनहगार नहीं है
ख़्वाब बेताब हैं बहुत
रात बेज़ार नहीं है
गर्मिए-इश्क़ है ज़रा
कोई आज़ार नहीं है
आप ज़रयाब ही सही
इश्क़ बाज़ार नहीं है
ख़्वाबे-आवारगी हूं मैं
मेरा घरबार नहीं है
लाख पसमांदगी सही
राह दुश्वार नहीं है
बेशक़ीमत वफ़ाएं हैं
तू ख़रीदार नहीं है
मैं रहे-इंक़ेलाब हूं
वक़्त तैयार नहीं है !
( 2014 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: तलबगार: इच्छुक; मुआमला-ए-नज़र: दृष्टि-दोष; गुनहगार: अपराधी; बेताब: उत्कंठित; बेज़ार: चिंतित; गर्मिए-इश्क़: प्रेम का ताप; आज़ार: रोग; ज़रयाब: समृद्ध; यायावरी का स्वप्न; पसमांदगी: थकान; दुश्वार: कठिन; बेशक़ीमत: अति-मूल्यवान; वफ़ाएं: आस्थाएं; रहे-इंक़ेलाब: क्रांति का मार्ग।
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