इश्क़ के वलवले बचा रखिए
दीद के हौसले सजा रखिए
क्या ख़बर कौन कब बदल जाए
वक़्त से दोस्ती निभा रखिए
अश्क बेसाख़्त: छलकते हैं
दर्द दिल में कहीं दबा रखिए
ख़्वाब भी राह भूल सकते हैं
रास्तों में शम्'अ जला रखिए
दुश्मनों की कमी नहीं दिल को
दोस्तों को गले लगा रखिए
तर्के-उल्फ़त सही मगर दिल में
आने-जाने का रास्ता रखिए
तीरगी में फ़रेब मुमकिन है
रूह की रौशनी बचा रखिए !
( 2014 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ:
दीद के हौसले सजा रखिए
क्या ख़बर कौन कब बदल जाए
वक़्त से दोस्ती निभा रखिए
अश्क बेसाख़्त: छलकते हैं
दर्द दिल में कहीं दबा रखिए
ख़्वाब भी राह भूल सकते हैं
रास्तों में शम्'अ जला रखिए
दुश्मनों की कमी नहीं दिल को
दोस्तों को गले लगा रखिए
तर्के-उल्फ़त सही मगर दिल में
आने-जाने का रास्ता रखिए
तीरगी में फ़रेब मुमकिन है
रूह की रौशनी बचा रखिए !
( 2014 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ:
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