दिल किसी से मिले तो बड़ी बात है
आशना बन सके तो बड़ी बात है
इश्क़ बे-ताब हो ये: ज़रूरी नहीं
रूह में आ बसे तो बड़ी बात है
हुस्न की सादगी देख कर आसमां
मरहबा कह उठे तो बड़ी बात है
आंख से अश्क गिरना तो मामूल है
क़तर:-ए-ख़ूं गिरे तो बड़ी बात है
सुनते-सुनते तेरे दर्द की दास्तां
आसमां रो पड़े तो बड़ी बात है
कोह पर आ गए हैं अज़ां के लिए
मोजज़ा हो रहे तो बड़ी बात है
तीरगी में तुझे याद करते हुए
शम्'ए-दिल जल उठे तो बड़ी बात है !
( 2014 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: आशना: साथी; बे-ताब: विकल; मरहबा: धन्य, साधु-साधु; अश्क: अश्रु; मामूल: सामान्य बात, सहजता;
क़तर:-ए-ख़ूं: रक्त की बूंद; दास्तां: आख्यान, कथा; आसमां: आकाश, ईश्वर; कोह: पर्वत; अज़ां: ईश्वर के नाम की पुकार;
मोजज़ा: चमत्कार; तीरगी: अंधकार; शम्'ए-दिल: मन का दीप।
आशना बन सके तो बड़ी बात है
इश्क़ बे-ताब हो ये: ज़रूरी नहीं
रूह में आ बसे तो बड़ी बात है
हुस्न की सादगी देख कर आसमां
मरहबा कह उठे तो बड़ी बात है
आंख से अश्क गिरना तो मामूल है
क़तर:-ए-ख़ूं गिरे तो बड़ी बात है
सुनते-सुनते तेरे दर्द की दास्तां
आसमां रो पड़े तो बड़ी बात है
कोह पर आ गए हैं अज़ां के लिए
मोजज़ा हो रहे तो बड़ी बात है
तीरगी में तुझे याद करते हुए
शम्'ए-दिल जल उठे तो बड़ी बात है !
( 2014 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: आशना: साथी; बे-ताब: विकल; मरहबा: धन्य, साधु-साधु; अश्क: अश्रु; मामूल: सामान्य बात, सहजता;
क़तर:-ए-ख़ूं: रक्त की बूंद; दास्तां: आख्यान, कथा; आसमां: आकाश, ईश्वर; कोह: पर्वत; अज़ां: ईश्वर के नाम की पुकार;
मोजज़ा: चमत्कार; तीरगी: अंधकार; शम्'ए-दिल: मन का दीप।
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