वक़्त बदला नहीं, दौड़ कर चल दिया
मौसमे-गुल चमन छोड़ कर चल दिया
जी रहे थे वफ़ा का भरोसा किए
और वो: सिलसिला तोड़ कर चल दिया
दिल के तूफ़ां ने कश्ती डुबोई मेरी
रुख़ भंवर की तरफ़ मोड़ कर चल दिया
चांद टूटे दिलों का सहारा बना
रिश्त:-ए-ज़िंदगी जोड़ कर चल दिया
मुस्कुरा के फ़रिश्ता दग़ा कर गया
ज़िंदगी की रिदा ओढ़ कर चल दिया !
( 2014 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: फूलों की ऋतु; चमन: उपवन; सिलसिला: क्रम, सम्बंध; तूफ़ां: झंझावात; कश्ती: नौका; रुख़: दिशा; रिश्त:-ए-ज़िंदगी: जीवन-सम्बंध; फ़रिश्ता: मृत्यु-दूत, ईश्वरीय दूत; दग़ा: कपट;
मौसमे-गुल चमन छोड़ कर चल दिया
जी रहे थे वफ़ा का भरोसा किए
और वो: सिलसिला तोड़ कर चल दिया
दिल के तूफ़ां ने कश्ती डुबोई मेरी
रुख़ भंवर की तरफ़ मोड़ कर चल दिया
चांद टूटे दिलों का सहारा बना
रिश्त:-ए-ज़िंदगी जोड़ कर चल दिया
मुस्कुरा के फ़रिश्ता दग़ा कर गया
ज़िंदगी की रिदा ओढ़ कर चल दिया !
( 2014 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: फूलों की ऋतु; चमन: उपवन; सिलसिला: क्रम, सम्बंध; तूफ़ां: झंझावात; कश्ती: नौका; रुख़: दिशा; रिश्त:-ए-ज़िंदगी: जीवन-सम्बंध; फ़रिश्ता: मृत्यु-दूत, ईश्वरीय दूत; दग़ा: कपट;
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