मौत ने जीना हमारा और आसां कर दिया
फिर दरे-मेहबूब पर सज्दे का सामां कर दिया
हूं बहुत मज़्कूर मैं उस हुस्ने-शामो-सहर का
जिसने मेरी अंजुमन को रश्क़े-रिज़्वां कर दिया
शुक्रिया अय दोस्त तेरा रहनुमाई के लिए
तूने मेरी हर दुआ को गुहरे-मिश्गां कर दिया
और क्या करते भला हम बंदगी के नाम पर
तेरी क़ुर्बत के लिए ईमान क़ुर्बां कर दिया
पुर्सिशों से ज़ल्ज़ला सा आ गया घर में मेरे
लज़्ज़ते-गिरिय: ने हमको फिर पशेमां कर दिया
फिर किसी ने ख़ुल्द में दिल से पुकारा है हमें
फिर मेरे दर्दे-निहां को राहते-जां कर दिया
बेख़याली बदगुमानी बदनसीबी सब यहीं
ज़िंदगी दे कर ख़ुदा ने ख़ाक एहसां कर दिया !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: आसां: आसान, सरल; दरे-मेहबूब: प्रिय/ईश्वर का द्वार ; सज्दे का सामां: पृथ्वी पर सिर झुका कर प्रणाम करने का प्रबंध;
मज़्कूर: शुक्रगुज़ार, आभारी; हुस्ने-शामो-सहर: संध्या और उषा का सौंदर्य; अंजुमन: सभा; रश्क़े-रिज़्वां: रिज़वान, जन्नत का प्रहरी की ईर्ष्या का कारण; रहनुमाई: मार्गदर्शन; गुहरे-मिश्गां: पलकों के मोती, अश्रु; बंदगी: भक्ति; क़ुर्बत: निकटता; ईमान: आस्था; क़ुर्बां: बलिदान; पुर्सिश: हाल पूछना; ज़ल्ज़ला: भूकम्प; लज़्ज़ते-गिरिय: : रोने का आनंद; पशेमां: लज्जित, अवमानित; ख़ुल्द: स्वर्ग; दर्दे-निहां: अंतर्मन की पीड़ा; राहते-जां: प्राणाधार; बेख़याली: अन्यमनस्कता; बदगुमानी: दूसरों की कु-धारणाएं; बदनसीबी: दुर्भाग्य;
ख़ाक: व्यर्थ, धूल के समान; एहसां: एहसान, अनुचित कृपा।
फिर दरे-मेहबूब पर सज्दे का सामां कर दिया
हूं बहुत मज़्कूर मैं उस हुस्ने-शामो-सहर का
जिसने मेरी अंजुमन को रश्क़े-रिज़्वां कर दिया
शुक्रिया अय दोस्त तेरा रहनुमाई के लिए
तूने मेरी हर दुआ को गुहरे-मिश्गां कर दिया
और क्या करते भला हम बंदगी के नाम पर
तेरी क़ुर्बत के लिए ईमान क़ुर्बां कर दिया
पुर्सिशों से ज़ल्ज़ला सा आ गया घर में मेरे
लज़्ज़ते-गिरिय: ने हमको फिर पशेमां कर दिया
फिर किसी ने ख़ुल्द में दिल से पुकारा है हमें
फिर मेरे दर्दे-निहां को राहते-जां कर दिया
बेख़याली बदगुमानी बदनसीबी सब यहीं
ज़िंदगी दे कर ख़ुदा ने ख़ाक एहसां कर दिया !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: आसां: आसान, सरल; दरे-मेहबूब: प्रिय/ईश्वर का द्वार ; सज्दे का सामां: पृथ्वी पर सिर झुका कर प्रणाम करने का प्रबंध;
मज़्कूर: शुक्रगुज़ार, आभारी; हुस्ने-शामो-सहर: संध्या और उषा का सौंदर्य; अंजुमन: सभा; रश्क़े-रिज़्वां: रिज़वान, जन्नत का प्रहरी की ईर्ष्या का कारण; रहनुमाई: मार्गदर्शन; गुहरे-मिश्गां: पलकों के मोती, अश्रु; बंदगी: भक्ति; क़ुर्बत: निकटता; ईमान: आस्था; क़ुर्बां: बलिदान; पुर्सिश: हाल पूछना; ज़ल्ज़ला: भूकम्प; लज़्ज़ते-गिरिय: : रोने का आनंद; पशेमां: लज्जित, अवमानित; ख़ुल्द: स्वर्ग; दर्दे-निहां: अंतर्मन की पीड़ा; राहते-जां: प्राणाधार; बेख़याली: अन्यमनस्कता; बदगुमानी: दूसरों की कु-धारणाएं; बदनसीबी: दुर्भाग्य;
ख़ाक: व्यर्थ, धूल के समान; एहसां: एहसान, अनुचित कृपा।
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