ख़्वाब अपना ख़ता न हो जाए
फिर नया हादसा न हो जाए
दोस्त-एहबाब फेर लें नज़रें
वक़्त इतना बुरा न हो जाए
भीड़ में हुस्न ढूंढने वाले
दोस्त से सामना न हो जाए
बाद तर्के-वफ़ा सलाम न कर
ज़ख़्म फिर से हरा न हो जाए
इश्क़ में भी वफ़ा की अफ़वाहें
ये: सियासत सज़ा न हो जाए
आज दावा पयम्बरी का है
कल कहीं वो: ख़ुदा न हो जाए !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: ख़ता: अपराध; हादसा: दुर्घटना; दोस्त-एहबाब: मित्र-गण; बाद तर्के-वफ़ा: सम्बंध-विच्छेद के बाद;
पयम्बर :ईश्वरीय सन्देश ले कर आने वाला देव-दूत।
फिर नया हादसा न हो जाए
दोस्त-एहबाब फेर लें नज़रें
वक़्त इतना बुरा न हो जाए
भीड़ में हुस्न ढूंढने वाले
दोस्त से सामना न हो जाए
बाद तर्के-वफ़ा सलाम न कर
ज़ख़्म फिर से हरा न हो जाए
इश्क़ में भी वफ़ा की अफ़वाहें
ये: सियासत सज़ा न हो जाए
आज दावा पयम्बरी का है
कल कहीं वो: ख़ुदा न हो जाए !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: ख़ता: अपराध; हादसा: दुर्घटना; दोस्त-एहबाब: मित्र-गण; बाद तर्के-वफ़ा: सम्बंध-विच्छेद के बाद;
पयम्बर :ईश्वरीय सन्देश ले कर आने वाला देव-दूत।
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