इश्क़ जब बेक़रार होता है
दिल का ऊंचा मेयार होता है
यार आए न आए क़िस्मत है
ख़्वाब में इंतज़ार होता है
सिर्फ़ मय ही नशा नहीं देती
दर्द में भी ख़ुमार होता है
जब इबादत क़ुबूल हो जाए
तिफ़्ल भी शहसवार होता है
आसमां से क़हर बरसता है
इश्क़ जब दाग़दार होता है
नूरे-अल्लाह जब बिखरता है
वक़्त के आर-पार होता है
सामना जब ख़ुदा से होता है
हर अमल का शुमार होता है !
(2013)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: बेक़रार: व्याकुल; मेयार: स्थिति, स्थान; ख़ुमार: तन्द्रा, उन्माद; तिफ़्ल: छोटा बच्चा, शिशु; शहसवार: घुड़सवार;
क़हर: ईश्वरीय प्रकोप; दाग़दार: कलंकित; अमल: कर्म, आचरण; शुमार: गिनती।
दिल का ऊंचा मेयार होता है
यार आए न आए क़िस्मत है
ख़्वाब में इंतज़ार होता है
सिर्फ़ मय ही नशा नहीं देती
दर्द में भी ख़ुमार होता है
जब इबादत क़ुबूल हो जाए
तिफ़्ल भी शहसवार होता है
आसमां से क़हर बरसता है
इश्क़ जब दाग़दार होता है
नूरे-अल्लाह जब बिखरता है
वक़्त के आर-पार होता है
सामना जब ख़ुदा से होता है
हर अमल का शुमार होता है !
(2013)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: बेक़रार: व्याकुल; मेयार: स्थिति, स्थान; ख़ुमार: तन्द्रा, उन्माद; तिफ़्ल: छोटा बच्चा, शिशु; शहसवार: घुड़सवार;
क़हर: ईश्वरीय प्रकोप; दाग़दार: कलंकित; अमल: कर्म, आचरण; शुमार: गिनती।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें