वो: हक़ीक़त से प्यार करते हैं
ख़्वाब पर ऐतबार करते हैं
हो ज़रूरत तो जान ले जाएं
हम ख़ुशी से उधार करते हैं
हमपे दावा न कीजिए साहब
आप आशिक़ हज़ार करते हैं
ख़्वाब आंखों से दूर ही बेहतर
रूह को बेक़रार करते हैं
डालिए ख़ाक उनपे जो शो'अरा
दर्द का इश्तिहार करते हैं
चांद से उनको दुश्मनी क्या है
शबो-शब शर्मसार करते हैं
क़त्ल कीजे कभी क़रीने से
क्यूं ज़िबह बार-बार करते हैं
असलहे आपको मुबारक हों
हम नज़र धारदार करते हैं
हममें कुछ है के: आसमां वाले
दोस्तों में शुमार करते हैं !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: ऐतबार: विश्वास; बेक़रार: बेचैन, विचलित; ख़ाक: धूल, भस्म; शो'अरा: शायर का बहुवचन; इश्तिहार: विज्ञापन; शबो-शब: निशा-प्रतिनिशा; शर्मसार: लज्जित; क़रीने से: शिष्टाचार पूर्वक; ज़िबह: छुरी फेरना; असलहे: शस्त्रास्त्र; आसमां वाले: परलोक वासी, देवता-गण; शुमार: गणना।
ख़्वाब पर ऐतबार करते हैं
हो ज़रूरत तो जान ले जाएं
हम ख़ुशी से उधार करते हैं
हमपे दावा न कीजिए साहब
आप आशिक़ हज़ार करते हैं
ख़्वाब आंखों से दूर ही बेहतर
रूह को बेक़रार करते हैं
डालिए ख़ाक उनपे जो शो'अरा
दर्द का इश्तिहार करते हैं
चांद से उनको दुश्मनी क्या है
शबो-शब शर्मसार करते हैं
क़त्ल कीजे कभी क़रीने से
क्यूं ज़िबह बार-बार करते हैं
असलहे आपको मुबारक हों
हम नज़र धारदार करते हैं
हममें कुछ है के: आसमां वाले
दोस्तों में शुमार करते हैं !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: ऐतबार: विश्वास; बेक़रार: बेचैन, विचलित; ख़ाक: धूल, भस्म; शो'अरा: शायर का बहुवचन; इश्तिहार: विज्ञापन; शबो-शब: निशा-प्रतिनिशा; शर्मसार: लज्जित; क़रीने से: शिष्टाचार पूर्वक; ज़िबह: छुरी फेरना; असलहे: शस्त्रास्त्र; आसमां वाले: परलोक वासी, देवता-गण; शुमार: गणना।
सुन्दर ,रोचक और सराहनीय। कभी इधर भी पधारें
जवाब देंहटाएंलेखन भाने पर अनुशरण या सन्देश से अभिभूत करें।
सादर मदन