ख़ेराजे-अकीदत: मन्ना दा
हिंदी फिल्मों के अज़ीम-तरीन गुलूकार जनाब प्रबोध चन्द्र डे उर्फ़ मन्ना डे, अपने करोड़ों मुरीदों के दिल में मेयारी मक़ाम रखने वाले और हम सब के अज़ीज़ फ़नकार मन्ना दा आज अल-फ़जर दुनिया-ए-फ़ानी को अलविदा कह गए…। 'साझा आसमान' उस लाजवाब फ़नकार और लासानी इन्सान को तहे-दिल से अपनी ख़ेराजे-अक़ीदत पेश करता है:
ग़ुरुब हुआ वो: शम्से-मौसिक़ी अल-सुब्हा
जिसकी आवाज़ थी अज़ां-ए-फ़जर के मानिंद!
अलविदा, मन्ना दा ! अल्लाह आपकी रूह को अपने क़रीब जगह अता करे…. ! आमीन !
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हिंदी फिल्मों के अज़ीम-तरीन गुलूकार जनाब प्रबोध चन्द्र डे उर्फ़ मन्ना डे, अपने करोड़ों मुरीदों के दिल में मेयारी मक़ाम रखने वाले और हम सब के अज़ीज़ फ़नकार मन्ना दा आज अल-फ़जर दुनिया-ए-फ़ानी को अलविदा कह गए…। 'साझा आसमान' उस लाजवाब फ़नकार और लासानी इन्सान को तहे-दिल से अपनी ख़ेराजे-अक़ीदत पेश करता है:
ग़ुरुब हुआ वो: शम्से-मौसिक़ी अल-सुब्हा
जिसकी आवाज़ थी अज़ां-ए-फ़जर के मानिंद!
अलविदा, मन्ना दा ! अल्लाह आपकी रूह को अपने क़रीब जगह अता करे…. ! आमीन !
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ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन २४ अक्तूबर का दिन और ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
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