रंजो-ग़म से निजात बाक़ी है
क्यूं ये: क़ैदे-हयात बाक़ी है
कोई हमदर्द आसपास नहीं
दुश्मनों की जमात बाक़ी है
एक हम ही नहीं रहे बाक़ी
कुल जमा कायनात बाक़ी है
क़त्लो-ग़ारत ज़िना-ओ-बदकारी
कौन सी वारदात बाक़ी है
मौत कमबख़्त रास्ते में है
और बदबख़्त रात बाक़ी है
शाह बे-ख़ौफ़ चाल चलता है
पैदली शह-ओ-मात बाक़ी है
उस गली पे ख़ुदा का साया है
जिस गली में निशात बाक़ी है !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: निजात: मुक्ति; क़ैदे-हयात: जीवन-रूपी कारावास; हमदर्द: पीड़ा बंटाने वाला; जमात: समूह; कुल जमा कायनात: समग्र सृष्टि; हत्या और हिंसा; ज़िना-ओ-बदकारी: बलात्कार और दुष्कर्म; वारदात: आपराधिक घटना; कमबख़्त:हतभाग्य; बदबख़्त:अभागी;
बे-ख़ौफ़: निर्द्वन्द्व; पैदली शह-ओ-मात: पैदल सेना की चुनौती और विरोधी राजा की हार; साया: छाँव; निशात: हर्ष।
क्यूं ये: क़ैदे-हयात बाक़ी है
कोई हमदर्द आसपास नहीं
दुश्मनों की जमात बाक़ी है
एक हम ही नहीं रहे बाक़ी
कुल जमा कायनात बाक़ी है
क़त्लो-ग़ारत ज़िना-ओ-बदकारी
कौन सी वारदात बाक़ी है
मौत कमबख़्त रास्ते में है
और बदबख़्त रात बाक़ी है
शाह बे-ख़ौफ़ चाल चलता है
पैदली शह-ओ-मात बाक़ी है
उस गली पे ख़ुदा का साया है
जिस गली में निशात बाक़ी है !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: निजात: मुक्ति; क़ैदे-हयात: जीवन-रूपी कारावास; हमदर्द: पीड़ा बंटाने वाला; जमात: समूह; कुल जमा कायनात: समग्र सृष्टि; हत्या और हिंसा; ज़िना-ओ-बदकारी: बलात्कार और दुष्कर्म; वारदात: आपराधिक घटना; कमबख़्त:हतभाग्य; बदबख़्त:अभागी;
बे-ख़ौफ़: निर्द्वन्द्व; पैदली शह-ओ-मात: पैदल सेना की चुनौती और विरोधी राजा की हार; साया: छाँव; निशात: हर्ष।
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