हम तेरे ख़्वाब में जब से आने लगे
दोस्त हम से निगाहें चुराने लगे
दी हमीं ने तुम्हें दिलकशी की नज़र
तुम हमीं को निशाना बनाने लगे
यार, ये: तो शराफ़त की हद हो गई
फिर हमें छेड़ के मुस्कुराने लगे
बेवक़ूफ़ी हुई जो उन्हें दिल दिया
वो: हमारा तमाशा बनाने लगे
हाथ पकड़ा नहीं था अभी ठीक से
ज़ोर सारा लगा के छुड़ाने लगे
शे'र कहने का हमसे हुनर सीख के
बुलबुलों की तरह चहचहाने लगे
ये: असर है हमारा के: बस बेख़ुदी
वो: हमारी ग़ज़ल गुनगुनाने लगे
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: दिलकशी: चिताकर्षण; हुनर: कौशल; बेख़ुदी: आत्म-विस्मरण।
दोस्त हम से निगाहें चुराने लगे
दी हमीं ने तुम्हें दिलकशी की नज़र
तुम हमीं को निशाना बनाने लगे
यार, ये: तो शराफ़त की हद हो गई
फिर हमें छेड़ के मुस्कुराने लगे
बेवक़ूफ़ी हुई जो उन्हें दिल दिया
वो: हमारा तमाशा बनाने लगे
हाथ पकड़ा नहीं था अभी ठीक से
ज़ोर सारा लगा के छुड़ाने लगे
शे'र कहने का हमसे हुनर सीख के
बुलबुलों की तरह चहचहाने लगे
ये: असर है हमारा के: बस बेख़ुदी
वो: हमारी ग़ज़ल गुनगुनाने लगे
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: दिलकशी: चिताकर्षण; हुनर: कौशल; बेख़ुदी: आत्म-विस्मरण।
हाथ पकड़ा नहीं था अभी ठीक से
जवाब देंहटाएंज़ोर सारा लगा के छुड़ाने लगे
waaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaah!!!!!!!!!!