नए अहद नई वफ़ा तलाश करते हैं
रहे-अज़ल नया ख़ुदा तलाश करते हैं
यहां की आबो-हवा अब हमें मुफ़ीद नहीं
नई सहर नई सबा तलाश करते हैं
मेरे हबीब दुश्मनों से मिल गए शायद
मेरे ख़िलाफ़ मुद्द'आ तलाश करते हैं
मुहब्बतों के शहर में जिया किए तन्हा
सफ़र के वास्ते दुआ तलाश करते हैं
बना लिया है तेरा नाम तख़ल्लुस हमने
तेरे लिए भी मर्तबा तलाश करते हैं
ज़रा सी देर कहीं ख़ुद से रू-ब-रू हो लें
भरे शहर में तख़्लिया तलाश करते हैं
हुआ है शाह को नज़ला अजब मुसीबत है
तबीबे-दो जहां दवा तलाश करते हैं !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: अहद: संकल्प; वफ़ा: निर्वाह करने वाले; रहे-अज़ल: मृत्यु का मार्ग; आबो-हवा: हवा-पानी, पर्यावरण; मुफ़ीद: लाभदायक;
सहर: उषा; सबा: ठंडी पुरवाई; हबीब: प्रिय-जन; ख़िलाफ़: विरुद्ध; मुद्द'आ: बिंदु, विवाद का विषय; तख़ल्लुस: कवि या शायर का उपनाम; मर्तबा: पदवी; रू-ब-रू: साक्षात्कार; तख़्लिया: एकांत; नज़ला: सर्दी-ज़ुकाम; तबीबे-दो जहां: दोनों लोक- इहलोक, परलोक के चिकित्सक।
रहे-अज़ल नया ख़ुदा तलाश करते हैं
यहां की आबो-हवा अब हमें मुफ़ीद नहीं
नई सहर नई सबा तलाश करते हैं
मेरे हबीब दुश्मनों से मिल गए शायद
मेरे ख़िलाफ़ मुद्द'आ तलाश करते हैं
मुहब्बतों के शहर में जिया किए तन्हा
सफ़र के वास्ते दुआ तलाश करते हैं
बना लिया है तेरा नाम तख़ल्लुस हमने
तेरे लिए भी मर्तबा तलाश करते हैं
ज़रा सी देर कहीं ख़ुद से रू-ब-रू हो लें
भरे शहर में तख़्लिया तलाश करते हैं
हुआ है शाह को नज़ला अजब मुसीबत है
तबीबे-दो जहां दवा तलाश करते हैं !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: अहद: संकल्प; वफ़ा: निर्वाह करने वाले; रहे-अज़ल: मृत्यु का मार्ग; आबो-हवा: हवा-पानी, पर्यावरण; मुफ़ीद: लाभदायक;
सहर: उषा; सबा: ठंडी पुरवाई; हबीब: प्रिय-जन; ख़िलाफ़: विरुद्ध; मुद्द'आ: बिंदु, विवाद का विषय; तख़ल्लुस: कवि या शायर का उपनाम; मर्तबा: पदवी; रू-ब-रू: साक्षात्कार; तख़्लिया: एकांत; नज़ला: सर्दी-ज़ुकाम; तबीबे-दो जहां: दोनों लोक- इहलोक, परलोक के चिकित्सक।
बेहतरीन प्रस्तुति
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