हाँ बादे तर्के इश्क़ भी इक हादसा हुआ
देखा उन्हें तो हश्र सा दिल में बपा हुआ
अब उसके बाद पूछ न क्या माजरा हुआ
अपनी ख़ता पे सर था किसी का झुका हुआ
ज़ुल्फों में ख़ाके राह गिरेबां फटा हुआ
दूर आ गया जुनूं में तुझे ढूंढता हुआ
पूछा जो उनसे कौन था पहलू में ग़ैर के
मारे हया के फिर न उठा सर झुका हुआ
हंगामे आरज़ू न हुआ ख़त्म जीते जी
मर कर के ख़्वाहिशों का मेरी फ़ैसला हुआ
देखा जो उसने लुत्फ़ से 'राजन' रक़ीब को
पहलू से ख़ून हो के मेरा दिल जुदा हुआ
-चित्रेन्द्र स्वरूप 'राजन'
शब्दार्थ: बादे तर्के इश्क़: प्रेम-परित्याग के बाद; हादसा: दुर्घटना; हश्र: प्रलय; बपा: उठा हुआ; माजरा: घटना; ख़ता: दोष, भूल;
ख़ाके राह: रास्ते की धूल; गिरेबां: उपरिवस्त्र; जुनूं: उन्माद; पहलू: गोद; हया: लज्जा; हंगामे आरज़ू: इच्छाओं का शोर; लुत्फ़: रुचि;
रक़ीब: प्रतिद्वंदी।
देखा उन्हें तो हश्र सा दिल में बपा हुआ
अब उसके बाद पूछ न क्या माजरा हुआ
अपनी ख़ता पे सर था किसी का झुका हुआ
ज़ुल्फों में ख़ाके राह गिरेबां फटा हुआ
दूर आ गया जुनूं में तुझे ढूंढता हुआ
पूछा जो उनसे कौन था पहलू में ग़ैर के
मारे हया के फिर न उठा सर झुका हुआ
हंगामे आरज़ू न हुआ ख़त्म जीते जी
मर कर के ख़्वाहिशों का मेरी फ़ैसला हुआ
देखा जो उसने लुत्फ़ से 'राजन' रक़ीब को
पहलू से ख़ून हो के मेरा दिल जुदा हुआ
-चित्रेन्द्र स्वरूप 'राजन'
शब्दार्थ: बादे तर्के इश्क़: प्रेम-परित्याग के बाद; हादसा: दुर्घटना; हश्र: प्रलय; बपा: उठा हुआ; माजरा: घटना; ख़ता: दोष, भूल;
ख़ाके राह: रास्ते की धूल; गिरेबां: उपरिवस्त्र; जुनूं: उन्माद; पहलू: गोद; हया: लज्जा; हंगामे आरज़ू: इच्छाओं का शोर; लुत्फ़: रुचि;
रक़ीब: प्रतिद्वंदी।
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