मंज़ूर मेरी अर्ज़े-मुलाक़ात कब हुई
जो पूछते हो तुम के मुनाजात कब हुई
मौसम मेरी तरह सुख़न-नवाज़ तो नहीं
क्या पूछिए हुज़ूर के बरसात कब हुई
मरते रहे ग़रीब चमकता रहा बाज़ार
अह्दो-अमल में उसके इंज़िबात कब हुई
तेरा निज़ाम है फ़िदा सरमाएदार पे
मुफ़लिस पे तेरी नज़्रे-इनायात कब हुई
इक़बाले-जुर्म से हमें इनकार तो नहीं
जिस बात पे ख़फ़ा है तू वो बात कब हुई ?
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: अर्ज़े-मुलाक़ात: भेंट की प्रार्थना; मुनाजात: पूजा-अर्चना; सुख़न-नवाज़: संवाद-प्रेमी; प्रतिज्ञा और आचरण; इंज़िबात: दृढ़ता; निज़ाम: प्रशासन; सरमाएदार: पूंजीपति; मुफ़लिस: वंचित, निर्धन; नज़्रे-इनायात: कृपा-दृष्टि; इक़बाले-जुर्म: अपराध-स्वीकार;
ख़फ़ा: क्रोधित।
जो पूछते हो तुम के मुनाजात कब हुई
मौसम मेरी तरह सुख़न-नवाज़ तो नहीं
क्या पूछिए हुज़ूर के बरसात कब हुई
मरते रहे ग़रीब चमकता रहा बाज़ार
अह्दो-अमल में उसके इंज़िबात कब हुई
तेरा निज़ाम है फ़िदा सरमाएदार पे
मुफ़लिस पे तेरी नज़्रे-इनायात कब हुई
इक़बाले-जुर्म से हमें इनकार तो नहीं
जिस बात पे ख़फ़ा है तू वो बात कब हुई ?
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: अर्ज़े-मुलाक़ात: भेंट की प्रार्थना; मुनाजात: पूजा-अर्चना; सुख़न-नवाज़: संवाद-प्रेमी; प्रतिज्ञा और आचरण; इंज़िबात: दृढ़ता; निज़ाम: प्रशासन; सरमाएदार: पूंजीपति; मुफ़लिस: वंचित, निर्धन; नज़्रे-इनायात: कृपा-दृष्टि; इक़बाले-जुर्म: अपराध-स्वीकार;
ख़फ़ा: क्रोधित।
सब प्यारा है बस "मुनाजात" में "ज" नीचे का नुक़्ता हटा दीजिये!
जवाब देंहटाएंhttp://meourmeriaavaaragee.blogspot.in/2013/08/blog-post_20.html