गम-ए-आशिक़ी की ज़रूरत नहीं है
हमें इस ख़ुशी की ज़रूरत नहीं है
कई और भी हैं वफ़ा के तरीक़े
अभी ख़ुदकुशी की ज़रूरत नहीं है
न जाने हमें उनसे उम्मीद क्यूं है
उन्हें तो किसी की ज़रूरत नहीं है
मैं तारीकियों में तुम्हें चाहता हूं
मुझे चांदनी की ज़रूरत नहीं है
तेरे असलहे के मुक़ाबिल है ईमां
हमें बेबसी की ज़रूरत नहीं है
करम है ख़ुदा का के: घर चल रहा है
ज़राए-बदी की ज़रूरत नहीं है
तू कैसा ख़ुदा है जिसे इस जहां में
मेरी बंदगी की ज़रूरत नहीं है !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: गम-ए-आशिक़ी: प्रेम के दुःख; वफ़ा: निर्वाह; ख़ुदकुशी: आत्महत्या; तारीकियां: अंधेरे; असलहे: अस्त्र-शस्त्र; ईमां: आस्था; ज़राए-बदी: भ्रष्ट साधन; बंदगी: भक्ति।
हमें इस ख़ुशी की ज़रूरत नहीं है
कई और भी हैं वफ़ा के तरीक़े
अभी ख़ुदकुशी की ज़रूरत नहीं है
न जाने हमें उनसे उम्मीद क्यूं है
उन्हें तो किसी की ज़रूरत नहीं है
मैं तारीकियों में तुम्हें चाहता हूं
मुझे चांदनी की ज़रूरत नहीं है
तेरे असलहे के मुक़ाबिल है ईमां
हमें बेबसी की ज़रूरत नहीं है
करम है ख़ुदा का के: घर चल रहा है
ज़राए-बदी की ज़रूरत नहीं है
तू कैसा ख़ुदा है जिसे इस जहां में
मेरी बंदगी की ज़रूरत नहीं है !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: गम-ए-आशिक़ी: प्रेम के दुःख; वफ़ा: निर्वाह; ख़ुदकुशी: आत्महत्या; तारीकियां: अंधेरे; असलहे: अस्त्र-शस्त्र; ईमां: आस्था; ज़राए-बदी: भ्रष्ट साधन; बंदगी: भक्ति।
वाह बहुत खूब...
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