काश ! बेताबियां नहीं होतीं
अपनी बदनामियां नहीं होतीं
तरबियत ने अदब सिखाया है
हमसे ग़ुस्ताख़ियां नहीं होतीं
हम सियासत अगर किया करते
रोज़ नाकामियां नहीं होतीं
सब्र करते ज़रा निगाहों का
लाख रुस्वाइयां नहीं होतीं
मैकशी बेबसी बढ़ाती है
दूर तन्हाइयां नहीं होतीं
शायरी रोज़गार हो रहती
तो ये: मंहगाइयां नहीं होतीं
तू हमारा ख़ुदा हुआ होता
इतनी दुश् वारियां नहीं होतीं!
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: बेताबियां: आतुरता(बहुव.); तरबियत: पालन-पोषण, संस्कार; ग़ुस्ताख़ियां: उद्दण्डताएं; रुस्वाइयां: अपमान (बहुव.);
मैकशी: मदिरापान; बेबसी: विवशता; तनहाइयां: अकेलापन; दुश् वारियां: कठिनाइयां।
अपनी बदनामियां नहीं होतीं
तरबियत ने अदब सिखाया है
हमसे ग़ुस्ताख़ियां नहीं होतीं
हम सियासत अगर किया करते
रोज़ नाकामियां नहीं होतीं
सब्र करते ज़रा निगाहों का
लाख रुस्वाइयां नहीं होतीं
मैकशी बेबसी बढ़ाती है
दूर तन्हाइयां नहीं होतीं
शायरी रोज़गार हो रहती
तो ये: मंहगाइयां नहीं होतीं
तू हमारा ख़ुदा हुआ होता
इतनी दुश् वारियां नहीं होतीं!
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: बेताबियां: आतुरता(बहुव.); तरबियत: पालन-पोषण, संस्कार; ग़ुस्ताख़ियां: उद्दण्डताएं; रुस्वाइयां: अपमान (बहुव.);
मैकशी: मदिरापान; बेबसी: विवशता; तनहाइयां: अकेलापन; दुश् वारियां: कठिनाइयां।
आपकी इस शानदार प्रस्तुति की चर्चा कल मंगलवार २३/७ /१३ को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है सस्नेह ।
जवाब देंहटाएंइंसान की फ़तरत में है सोचना कि अगर ऐसा नहीं होता तो वैसा हुआ होता !
जवाब देंहटाएंAAP NE BILKUL SAHI FARMAYA HE
हटाएंshairi rozgar ho rahti to ye mehgaiyan nahi hoti............. bahut hee shaandar khayal hai........j.n.mishra-9425603364
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति है
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें
http://saxenamadanmohan.blogspot.in/
बहुत सुंदर....
जवाब देंहटाएं