ख़्वाब-ए-हस्ती तेरा ख़ुदा हाफ़िज़
बदनसीबी तेरा ख़ुदा हाफ़िज़
जाम-ए-ग़म फिर उठा लिया हमने
होशमंदी तेरा ख़ुदा हाफ़िज़
चश्म-ए-साक़ी हमें मुबारक हो
मै परस्ती तेरा ख़ुदा हाफ़िज़
दौलत-ए-दिल मिली है विरसे में
अय ग़रीबी तेरा ख़ुदा हाफ़िज़
शाह-ए-आलम फ़िदा हुए हम पे
तंगदस्ती तेरा ख़ुदा हाफ़िज़
शाह अब खोल रहा है लंगर
फ़ाक़ामस्ती तेरा ख़ुदा हाफ़िज़
बाज़ आए हसीन चेहरों से
बुतपरस्ती तेरा ख़ुदा हाफ़िज़
आज वाइज़ शराब ले आया
क़ुन्दज़ेहनी तेरा ख़ुदा हाफ़िज़ !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: ख़्वाब-ए-हस्ती: जीवन-रूपी स्वप्न;जाम-ए-ग़म: दुःख की मदिरा का पात्र; होशमंदी: स्व-स्थित रहना;
चश्म-ए-साक़ी: मदिरा परोसने वाले की आंखें; मै परस्ती: मद्यपान की आदत; दौलत-ए-दिल: विशाल-हृदयता;
विरसा: उत्तराधिकार; शाह-ए-आलम: युवराज; फ़िदा: मोहित; तंगदस्ती: हाथ रोक कर व्यय करना, कंजूसी;
फ़ाक़ामस्ती: निराहार रह कर भी आनंदित रहना; बुतपरस्ती: मूर्ति-पूजन, व्यक्ति-पूजा; वाइज़: धर्मोपदेशक;
क़ुन्दज़ेहनी: बुद्धि-मंदता।
बदनसीबी तेरा ख़ुदा हाफ़िज़
जाम-ए-ग़म फिर उठा लिया हमने
होशमंदी तेरा ख़ुदा हाफ़िज़
चश्म-ए-साक़ी हमें मुबारक हो
मै परस्ती तेरा ख़ुदा हाफ़िज़
दौलत-ए-दिल मिली है विरसे में
अय ग़रीबी तेरा ख़ुदा हाफ़िज़
शाह-ए-आलम फ़िदा हुए हम पे
तंगदस्ती तेरा ख़ुदा हाफ़िज़
शाह अब खोल रहा है लंगर
फ़ाक़ामस्ती तेरा ख़ुदा हाफ़िज़
बाज़ आए हसीन चेहरों से
बुतपरस्ती तेरा ख़ुदा हाफ़िज़
आज वाइज़ शराब ले आया
क़ुन्दज़ेहनी तेरा ख़ुदा हाफ़िज़ !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: ख़्वाब-ए-हस्ती: जीवन-रूपी स्वप्न;जाम-ए-ग़म: दुःख की मदिरा का पात्र; होशमंदी: स्व-स्थित रहना;
चश्म-ए-साक़ी: मदिरा परोसने वाले की आंखें; मै परस्ती: मद्यपान की आदत; दौलत-ए-दिल: विशाल-हृदयता;
विरसा: उत्तराधिकार; शाह-ए-आलम: युवराज; फ़िदा: मोहित; तंगदस्ती: हाथ रोक कर व्यय करना, कंजूसी;
फ़ाक़ामस्ती: निराहार रह कर भी आनंदित रहना; बुतपरस्ती: मूर्ति-पूजन, व्यक्ति-पूजा; वाइज़: धर्मोपदेशक;
क़ुन्दज़ेहनी: बुद्धि-मंदता।
खुदा हाफ़िज़
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सादर