चाहे किसी के दिल में किसी की वफ़ा न हो
लेकिन जहां में कोई मरीज़-ए-अना न हो
ऐसे भी बदनसीब हुए हैं जहान में
आंखों में जिनकी कोई कभी भी रहा न हो
हो जाएं आप दूर मगर इस तरह न हों
के: वापसी के वक़्त कोई रास्ता न हो
वो: अर्श पर रहें हम ख़ुश हैं ज़मीन पर
दोनों दिलों के बीच मगर फ़ासला न हो
मेरा ख़ुदा वो: शख़्स तो हो ही नहीं सकता
जिसकी जबीं पे लफ़्ज़-ए-मुहब्बत लिखा न हो
मैं वादी-ए-सीना तक आया हूं पाऊं-पाऊं
क्यूं कर मेरे नसीब में वो: मोजज़ा न हो
दिल पे तेरी इनायतें मंज़ूर हैं मुझे
लेकिन मेरी नमाज़ कभी मुद्द'आ न हो !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
लेकिन जहां में कोई मरीज़-ए-अना न हो
ऐसे भी बदनसीब हुए हैं जहान में
आंखों में जिनकी कोई कभी भी रहा न हो
हो जाएं आप दूर मगर इस तरह न हों
के: वापसी के वक़्त कोई रास्ता न हो
वो: अर्श पर रहें हम ख़ुश हैं ज़मीन पर
दोनों दिलों के बीच मगर फ़ासला न हो
मेरा ख़ुदा वो: शख़्स तो हो ही नहीं सकता
जिसकी जबीं पे लफ़्ज़-ए-मुहब्बत लिखा न हो
मैं वादी-ए-सीना तक आया हूं पाऊं-पाऊं
क्यूं कर मेरे नसीब में वो: मोजज़ा न हो
दिल पे तेरी इनायतें मंज़ूर हैं मुझे
लेकिन मेरी नमाज़ कभी मुद्द'आ न हो !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
mohinimanika@gmail.com (This is correct)
जवाब देंहटाएंहो जाएं आप दूर मगर इस तरह न हों
जवाब देंहटाएंके: वापसी के वक़्त कोई रास्ता न हो............वाह बहुत खूब
कुछ दूरियों के रस्ते, कभी साथ मिल कर नहीं चलते,
हो जाए जो दिल में फांसले,वो कभी नहीं मिटते |.......अंजु(अनु)