इन्हें अच्छी तरह पहचान लीजे
किसी दिन जान लेंगे जान लीजे
फ़रेबी चीज़ है दिल, क्या करेंगे ?
मुबारक चीज़ है , ईमान लीजे
हमारे पास यूं तो कुछ नहीं है
हमारी ख़्वाहिश-ओ-अरमान लीजे
बड़ी ही ख़ूबसूरत-सी दुआ है
उम्मीद-ए-ज़ीस्त का उन्वान लीजे
दिया करते हैं सब कुछ दो जहां को
हमारी इल्तिजा भी मान लीजे !
ख़ुदा हैं, उनके घर में क्या कमी है
मगर क्या ग़ैर का एहसान लीजे ?
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: मुबारक: शुभ; ख़्वाहिश-ओ-अरमान: इच्छा और आकांक्षा; उम्मीद-ए-ज़ीस्त: जीवन की आशा;
उन्वान: शीर्षक; इल्तिजा: अनुरोध।
किसी दिन जान लेंगे जान लीजे
फ़रेबी चीज़ है दिल, क्या करेंगे ?
मुबारक चीज़ है , ईमान लीजे
हमारे पास यूं तो कुछ नहीं है
हमारी ख़्वाहिश-ओ-अरमान लीजे
बड़ी ही ख़ूबसूरत-सी दुआ है
उम्मीद-ए-ज़ीस्त का उन्वान लीजे
दिया करते हैं सब कुछ दो जहां को
हमारी इल्तिजा भी मान लीजे !
ख़ुदा हैं, उनके घर में क्या कमी है
मगर क्या ग़ैर का एहसान लीजे ?
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: मुबारक: शुभ; ख़्वाहिश-ओ-अरमान: इच्छा और आकांक्षा; उम्मीद-ए-ज़ीस्त: जीवन की आशा;
उन्वान: शीर्षक; इल्तिजा: अनुरोध।
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