हम खिचड़ी अल्फाज़ कहां से लाएं
बहके-बहके वाज़ कहां से लाएं
सीधा-सादा दिल है सच्ची सूरत
क़ातिल के अंदाज़ कहां से लाएं
मेहनतकश हम मुद्दा रोज़ी-रोटी
शायर की परवाज़ कहां से लाएं
नाले सीने में ही घुट जाते हैं
मजनूँ की आवाज़ कहां से लाएं
समझे तू ख़ुद ही तो बेहतर है यारां
हूरों-जैसे नाज़ कहां से लाएं
जो भी दिल में है वो: सब पे ज़ाहिर
अख़बारों के राज़ कहां से लाएं !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: अल्फाज़: शब्द ( बहुव .); वाज़: प्रवचन; अंदाज़: शैली; परवाज़: उड़ान; नाले:
आर्त्तनाद; मजनूँ: क़ैस, लैला का प्रेमी, प्रेमोन्मादी; नाज़: नखरे; ज़ाहिर: प्रकट।
बहके-बहके वाज़ कहां से लाएं
सीधा-सादा दिल है सच्ची सूरत
क़ातिल के अंदाज़ कहां से लाएं
मेहनतकश हम मुद्दा रोज़ी-रोटी
शायर की परवाज़ कहां से लाएं
नाले सीने में ही घुट जाते हैं
मजनूँ की आवाज़ कहां से लाएं
समझे तू ख़ुद ही तो बेहतर है यारां
हूरों-जैसे नाज़ कहां से लाएं
जो भी दिल में है वो: सब पे ज़ाहिर
अख़बारों के राज़ कहां से लाएं !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: अल्फाज़: शब्द ( बहुव .); वाज़: प्रवचन; अंदाज़: शैली; परवाज़: उड़ान; नाले:
आर्त्तनाद; मजनूँ: क़ैस, लैला का प्रेमी, प्रेमोन्मादी; नाज़: नखरे; ज़ाहिर: प्रकट।
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