आसमां बेरहम है, क्या देगा
कुछ न कुछ इश्क़ की सज़ा देगा
अपना ईमां तो उस पे ले आएं
क्या ख़बर, कब-कहां दग़ा देगा
तिफ़्ल पे क्या यक़ीं, रखें क़ासिद
ख़त किसी और को थमा देगा
पूछते हैं सभी से तेरा घर
कोई तो रास्ता दिखा देगा
ख़ैर हो, दिल लगे है आतिश से
बुझ भी जाएगा तो धुंवा देगा
यक़ीं न हो उस पे, भरम ही काफ़ी है
रस्म-ए-राह-ए-वफ़ा निभा देगा।
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: तिफ़्ल: छोटा बच्चा; क़ासिद: पत्रवाहक; आतिश: आग; रस्म-ए-राह-ए-वफ़ा: निर्वाह के मार्ग की प्रथा।
कुछ न कुछ इश्क़ की सज़ा देगा
अपना ईमां तो उस पे ले आएं
क्या ख़बर, कब-कहां दग़ा देगा
तिफ़्ल पे क्या यक़ीं, रखें क़ासिद
ख़त किसी और को थमा देगा
पूछते हैं सभी से तेरा घर
कोई तो रास्ता दिखा देगा
ख़ैर हो, दिल लगे है आतिश से
बुझ भी जाएगा तो धुंवा देगा
यक़ीं न हो उस पे, भरम ही काफ़ी है
रस्म-ए-राह-ए-वफ़ा निभा देगा।
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: तिफ़्ल: छोटा बच्चा; क़ासिद: पत्रवाहक; आतिश: आग; रस्म-ए-राह-ए-वफ़ा: निर्वाह के मार्ग की प्रथा।
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