मौसम निकल जाएगा !
आप आते रहें दिल बहल जाएगा
बेक़रारी का आलम बदल जाएगाआपके दिल की हमको तवक़्क़ो नहीं
मुस्कुरा दीजिये, काम चल जाएगा
रिंद है, लड़खड़ाना है उसकी अदा
जाम देखा नहीं के: संभल जाएगा
आप चाहें तो छू लें हमें शौक़ से
सोच लीजे मगर, हाथ जल जाएगा
आज मौक़ा है, महफ़िल सजा लीजिए
क्या ख़बर,कब ये: मौसम निकल जाएगा !
( 2009/2013)
-सुरेश स्वप्निल
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें