संजीदगी की यां कोई क़ीमत नहीं रही
उनको हमारे वास्ते फ़ुर्सत नहीं रही
जिस दिन से दुश्मनों से दोस्ती नहीं रही
उस दिन से दोस्तों से अदावत नहीं रही
आख़िर को वो: नाज़ुक-सा भरम टूट ही गया
अफ़सोस ! लखनऊ में नफ़ासत नहीं रही
इक दौर था के: ग़ालिब शाहों से कम न थे
प' आज शाइरी में वो: बरकत नहीं रही
क्या पूछिए के: कैसे निकलते हैं शहर में
दिल्ली तलक में आज हिफ़ाज़त नहीं रही
जीने को जिए जा रहे हैं मुस्कुरा के हम
सच है मगर के: ज़ीस्त में लज़्ज़त नहीं रही
जब से गए हैं वाल्दैन मुल्क-ए-आदम को
मुश्किल सफ़र में नर्म हिदायत नहीं रही !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: संजीदगी: गंभीरता; अदावत: शत्रुता, यहां प्रतियोगिता के अर्थ में; नफ़ासत: सुघड़;
बरकत: समृद्धि; हिफ़ाज़त: सुरक्षा; ज़ीस्त: जीवन; लज़्ज़त: स्वाद; वाल्दैन: माता-पिता
हिदायत: दिशा-निर्देश।
उनको हमारे वास्ते फ़ुर्सत नहीं रही
जिस दिन से दुश्मनों से दोस्ती नहीं रही
उस दिन से दोस्तों से अदावत नहीं रही
आख़िर को वो: नाज़ुक-सा भरम टूट ही गया
अफ़सोस ! लखनऊ में नफ़ासत नहीं रही
इक दौर था के: ग़ालिब शाहों से कम न थे
प' आज शाइरी में वो: बरकत नहीं रही
क्या पूछिए के: कैसे निकलते हैं शहर में
दिल्ली तलक में आज हिफ़ाज़त नहीं रही
जीने को जिए जा रहे हैं मुस्कुरा के हम
सच है मगर के: ज़ीस्त में लज़्ज़त नहीं रही
जब से गए हैं वाल्दैन मुल्क-ए-आदम को
मुश्किल सफ़र में नर्म हिदायत नहीं रही !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: संजीदगी: गंभीरता; अदावत: शत्रुता, यहां प्रतियोगिता के अर्थ में; नफ़ासत: सुघड़;
बरकत: समृद्धि; हिफ़ाज़त: सुरक्षा; ज़ीस्त: जीवन; लज़्ज़त: स्वाद; वाल्दैन: माता-पिता
हिदायत: दिशा-निर्देश।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें