आज भी मौसम यूं ही सा है
दिल का आलम यूं ही सा है
ये: बोझिल रुत ये: बेचैनी
सावन रिमझिम यूं ही सा है
ज़ख़्म तो रूह-ए-तमन्ना पे है
जिस्म पे मरहम यूं ही सा है
एक ही कूचे में रहते हैं
उनसे मरासिम यूं ही सा है
सरकारें आती-जाती हैं
शहर का मातम यूं ही सा है
ताल सियासी सुर बे-पर्दा
तेरा तरन्नुम यूं ही सा है
जीतेगा जम्हूर हमारा
ज़ुल्म का परचम यूं ही सा है।
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: आलम: दशा; रूह-ए-तमन्ना: अभिलाषा की आत्मा; कूचा: गली; मरासिम: सम्बंध; मातम: शोक;
बे-पर्दा: उचित सप्तक से हटा हुआ; तरन्नुम: गायन; जम्हूर: लोकतंत्र; परचम: झंडा।
दिल का आलम यूं ही सा है
ये: बोझिल रुत ये: बेचैनी
सावन रिमझिम यूं ही सा है
ज़ख़्म तो रूह-ए-तमन्ना पे है
जिस्म पे मरहम यूं ही सा है
एक ही कूचे में रहते हैं
उनसे मरासिम यूं ही सा है
सरकारें आती-जाती हैं
शहर का मातम यूं ही सा है
ताल सियासी सुर बे-पर्दा
तेरा तरन्नुम यूं ही सा है
जीतेगा जम्हूर हमारा
ज़ुल्म का परचम यूं ही सा है।
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: आलम: दशा; रूह-ए-तमन्ना: अभिलाषा की आत्मा; कूचा: गली; मरासिम: सम्बंध; मातम: शोक;
बे-पर्दा: उचित सप्तक से हटा हुआ; तरन्नुम: गायन; जम्हूर: लोकतंत्र; परचम: झंडा।
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