मेरी दुआ-ए-बा-असर पे ऐतबार रहे
के: मैं रहूं न रहूं, मौसम-ए-बहार रहे
कभी सुकून न पाया, जो तुझसे दूर रहे
तेरे क़रीब रहे, तब भी बेक़रार रहे
हज़ार नेमतों से एक तमन्ना बेहतर
सनम को याद रहेंगे जो बेक़रार रहे
लगेंगे और जनम अपनी मग़फ़िरत में अभी
हमारी ज़ात पे अहसां तेरे उधार रहे
पिला दे आज ख़ूब नूर-ए-मुजस्सम की मै
के: तेरी राह में सदमात बेशुमार रहे
फ़रिश्ते आन डटे हैं, चलूं; ख़ुदा हाफ़िज़
मगर मैं लौट के आऊंगा, इंतेज़ार रहे !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: दुआ-ए-बा-असर: प्रभावकारी प्रार्थना; मग़फ़िरत: मुक्ति, मोक्ष; ज़ात: अस्तित्व;
नूर-ए-मुजस्सम की मै: साक्षात् ईश्वरीय प्रकाश की मदिरा; सदमात: आघात।
के: मैं रहूं न रहूं, मौसम-ए-बहार रहे
कभी सुकून न पाया, जो तुझसे दूर रहे
तेरे क़रीब रहे, तब भी बेक़रार रहे
हज़ार नेमतों से एक तमन्ना बेहतर
सनम को याद रहेंगे जो बेक़रार रहे
लगेंगे और जनम अपनी मग़फ़िरत में अभी
हमारी ज़ात पे अहसां तेरे उधार रहे
पिला दे आज ख़ूब नूर-ए-मुजस्सम की मै
के: तेरी राह में सदमात बेशुमार रहे
फ़रिश्ते आन डटे हैं, चलूं; ख़ुदा हाफ़िज़
मगर मैं लौट के आऊंगा, इंतेज़ार रहे !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: दुआ-ए-बा-असर: प्रभावकारी प्रार्थना; मग़फ़िरत: मुक्ति, मोक्ष; ज़ात: अस्तित्व;
नूर-ए-मुजस्सम की मै: साक्षात् ईश्वरीय प्रकाश की मदिरा; सदमात: आघात।
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