ज़रूरी चीज़ है मौसम बदलना
कुहन-ए-ज़ीस्त का आलम बदलना
बदल जाना जहां पर वक़्त बदले
बदलते वक़्त से कुछ कम बदलना
सियासतदां हुए महबूब जब से
बहुत आसां हुआ हमदम बदलना
कोई तंज़ीम बा-ईमां नहीं है
समझ कर, सोच कर परचम बदलना
अहद कर के तो देखो, क्या बुरा है
के: नामुमकिन भी नहीं मौसम बदलना।
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: कुहन-ए-ज़ीस्त : जीवन का अंधकार; सियासतदां : राजनीतिज्ञ; तंज़ीम : दल;
परचम : झंडा; अहद : संकल्प; नामुमकिन : असंभव।
कुहन-ए-ज़ीस्त का आलम बदलना
बदल जाना जहां पर वक़्त बदले
बदलते वक़्त से कुछ कम बदलना
सियासतदां हुए महबूब जब से
बहुत आसां हुआ हमदम बदलना
कोई तंज़ीम बा-ईमां नहीं है
समझ कर, सोच कर परचम बदलना
अहद कर के तो देखो, क्या बुरा है
के: नामुमकिन भी नहीं मौसम बदलना।
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: कुहन-ए-ज़ीस्त : जीवन का अंधकार; सियासतदां : राजनीतिज्ञ; तंज़ीम : दल;
परचम : झंडा; अहद : संकल्प; नामुमकिन : असंभव।
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