करते हैं फ़िक्र ग़ालिब दुनिया-जहान की
बुनियाद धंस रही है ख़ुद अपने मकान की
कचरे में रोटियां तलाशते हैं तिफ़्ल अब
हालत तो ज़रा देखिये हिन्दोस्तान की
मत पूछिए के: कौन-से वादे वफ़ा हुए
तबियत नरम-गरम है ज़रा मेहरबान की
हंसते हैं सभी हिन्दसे अवाम-ए-हिंद पे
खाते है वज़ीरां-ए-वतन किस दुकान की ?
बकता है औल-फ़ौल शाह-ए-हिंद के लिए
दम है तो खैंच लें ज़ुबां इस बदज़ुबान की !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: तिफ़्ल: छोटे बच्चे; वादे वफ़ा होना: वादे पूरे होना; हिन्दसे: अंक, आंकड़े; अवाम-ए-हिंद: भारतीय
नागरिक (बहु .); वज़ीरां-ए-वतन: देश के मंत्रि-गण; औल-फ़ौल: अनाप-शनाप।
बुनियाद धंस रही है ख़ुद अपने मकान की
कचरे में रोटियां तलाशते हैं तिफ़्ल अब
हालत तो ज़रा देखिये हिन्दोस्तान की
मत पूछिए के: कौन-से वादे वफ़ा हुए
तबियत नरम-गरम है ज़रा मेहरबान की
हंसते हैं सभी हिन्दसे अवाम-ए-हिंद पे
खाते है वज़ीरां-ए-वतन किस दुकान की ?
बकता है औल-फ़ौल शाह-ए-हिंद के लिए
दम है तो खैंच लें ज़ुबां इस बदज़ुबान की !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: तिफ़्ल: छोटे बच्चे; वादे वफ़ा होना: वादे पूरे होना; हिन्दसे: अंक, आंकड़े; अवाम-ए-हिंद: भारतीय
नागरिक (बहु .); वज़ीरां-ए-वतन: देश के मंत्रि-गण; औल-फ़ौल: अनाप-शनाप।
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