दिल बहलना बहुत ज़रूरी है
तेरा मिलना बहुत ज़रूरी है
ख़ामुशी दूरियां बढ़ा देगी
बात चलना बहुत ज़रूरी है
दिन-ब-दिन बढ़ रही है बेताबी
राह मिलना बहुत ज़रूरी है
रात - भर पी तेरी निगाहों से
अब संभलना बहुत ज़रूरी है
दर्द सीने में घर न कर बैठे
आहें भरना बहुत ज़रूरी है
तीरगी रूह तक न छा जाए
दिन निकलना बहुत ज़रूरी है
अब्र-ए-दहशत हैं के: छंटते ही नहीं
रुत बदलना बहुत ज़रूरी है।
( 31 जन . 2013)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: तीरगी : अंधकार ; अब्र-ए-दहशत : आतंक के बादल
तेरा मिलना बहुत ज़रूरी है
ख़ामुशी दूरियां बढ़ा देगी
बात चलना बहुत ज़रूरी है
दिन-ब-दिन बढ़ रही है बेताबी
राह मिलना बहुत ज़रूरी है
रात - भर पी तेरी निगाहों से
अब संभलना बहुत ज़रूरी है
दर्द सीने में घर न कर बैठे
आहें भरना बहुत ज़रूरी है
तीरगी रूह तक न छा जाए
दिन निकलना बहुत ज़रूरी है
अब्र-ए-दहशत हैं के: छंटते ही नहीं
रुत बदलना बहुत ज़रूरी है।
( 31 जन . 2013)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: तीरगी : अंधकार ; अब्र-ए-दहशत : आतंक के बादल
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