जो मुहब्बत की सदा देते हैं
झूठे क़िस्सों को हवा देते हैं
बाख़ुदा, हम तो उन्हें दिल दे दें
देखते हैं के: वो: क्या देते हैं
आप कह के तो देखिए साहब
हम अभी जान लुटा देते हैं
अश्क रुस्वा न करें महफ़िल में
लोग इल्ज़ाम लगा देते हैं
हमको आईना बना के अपना
टूट जाने की दुआ देते हैं !
( 2012)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ : रुस्वा : लज्जित
झूठे क़िस्सों को हवा देते हैं
बाख़ुदा, हम तो उन्हें दिल दे दें
देखते हैं के: वो: क्या देते हैं
आप कह के तो देखिए साहब
हम अभी जान लुटा देते हैं
अश्क रुस्वा न करें महफ़िल में
लोग इल्ज़ाम लगा देते हैं
हमको आईना बना के अपना
टूट जाने की दुआ देते हैं !
( 2012)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ : रुस्वा : लज्जित
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