खुल कर अज़ान दी तो गिरफ़्तार हो गए
ख़ामोश भी रहे तो गुनहगार हो गए
मक़्तूल के अज़ीज़ सलाख़ों में क़ैद हैं
क़ातिल फ़रेब करके ताजदार हो गए
जिन पर यक़ीन था कि वो हक़ बात कहेंगे
अब वो भी क़ातिलों से शर्मसार हो गए
मैदान का शऊर न रफ़्तार पर पकड़
मा'फ़िक़ हवा चली तो शहसवार हो गए
जिनकी दुआ से क़ब्र मयस्सर हुई हमें
बेजान हमें देख बेक़रार हो गए
लगता न था कि आएंगे वो बज़्म में कभी
लेकिन वो इक सदा पे नमूदार हो गए
क़ारीन इत्र ले के चले आए साथ में
अश्'आर मेरे इस क़दर बीमार हो गए !
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: गुनहगार : अपराधी; मक़्तूल : मृतक, वधित ; अज़ीज़: प्रियजन, संबंधी ; क़ातिल : हत्यारा/रे ; फ़रेब : छल ; ताजदार : मुकुटधारी, शासक ; यक़ीन : विश्वास ; हक़ बात :सत्य साक्ष्य, शर्मसार: लज्जित; क़ब्र :समाधि; मयस्सर : प्राप्त , उपलब्ध ; बेजान : निष्प्राण ; बेक़रार : व्यथित, विचलित ; बज़्म : सभा, यहां मस्जिद ; सदा : आव्हान ; नमूदार : सशरीर प्रकट, उपस्थित ; क़ारीन : पाठक गण ; इत्र : सुगंधि ; अश्'आर : शे'र का बहुव., छंद-पद ।
ख़ामोश भी रहे तो गुनहगार हो गए
मक़्तूल के अज़ीज़ सलाख़ों में क़ैद हैं
क़ातिल फ़रेब करके ताजदार हो गए
जिन पर यक़ीन था कि वो हक़ बात कहेंगे
अब वो भी क़ातिलों से शर्मसार हो गए
मैदान का शऊर न रफ़्तार पर पकड़
मा'फ़िक़ हवा चली तो शहसवार हो गए
जिनकी दुआ से क़ब्र मयस्सर हुई हमें
बेजान हमें देख बेक़रार हो गए
लगता न था कि आएंगे वो बज़्म में कभी
लेकिन वो इक सदा पे नमूदार हो गए
क़ारीन इत्र ले के चले आए साथ में
अश्'आर मेरे इस क़दर बीमार हो गए !
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: गुनहगार : अपराधी; मक़्तूल : मृतक, वधित ; अज़ीज़: प्रियजन, संबंधी ; क़ातिल : हत्यारा/रे ; फ़रेब : छल ; ताजदार : मुकुटधारी, शासक ; यक़ीन : विश्वास ; हक़ बात :सत्य साक्ष्य, शर्मसार: लज्जित; क़ब्र :समाधि; मयस्सर : प्राप्त , उपलब्ध ; बेजान : निष्प्राण ; बेक़रार : व्यथित, विचलित ; बज़्म : सभा, यहां मस्जिद ; सदा : आव्हान ; नमूदार : सशरीर प्रकट, उपस्थित ; क़ारीन : पाठक गण ; इत्र : सुगंधि ; अश्'आर : शे'र का बहुव., छंद-पद ।
जय मां हाटेशवरी...
जवाब देंहटाएंआपने लिखा...
कुछ लोगों ने ही पढ़ा...
हम चाहते हैं कि इसे सभी पढ़ें...
इस लिये दिनांक 03/04/2016 को आप की इस रचना का लिंक होगा...
चर्चा मंच[कुलदीप ठाकुर द्वारा प्रस्तुत चर्चा] पर...
आप भी आयेगा....
धन्यवाद...
खुल कर अज़ान दी तो गिरफ़्तार हो गए
जवाब देंहटाएंख़ामोश भी रहे तो गुनहगार हो गए
मक़्तूल के अज़ीज़ सलाख़ों में क़ैद हैं
क़ातिल फ़रेब करके ताजदार हो गए
लाजवाब शेर ..शुभकामनाये :)
वाह ... बहुत ही उम्दा शेर ...
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