उनके ख़िलाफ़ कोई शिकायत न हो सकी
इतने हसीन हैं कि अदावत न हो सकी
पैग़ाम शैख़ को तो मुलाक़ात रिंद से
हमसे तो इस तरह की सियासत न हो सकी
दे आएं मेरे मर्ग़ की उनको ख़बर ज़रा
इतनी भी दोस्तों से शराफ़त न हो सकी
उस्तादो-वाल्दैन भी समझा के थक गए
शामिल तुम्हारी ख़ू में सदाक़त न हो सकी
बुलबुल उदास है कि हवाएं मुकर गईं
सय्याद के ख़िलाफ़ बग़ावत न हो सकी
रिज़्वां ! तेरा यक़ीन नहीं मालिकान को
तुझसे तो तितलियों की हिफ़ाज़त न हो सकी
हमने हज़ार साल गुज़ारे सुजूद में
अफ़सोस ! आसमां से इनायत न हो सकी !
(2015)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: हसीन: सुदर्शन; अदावत: शत्रुता; पैग़ाम:संदेश; शैख़ : धर्म-भीरु, मदिरा-विरोधी; रिंद: मद्य-प्रेमी; सियासत: कूटनीति, दोहरापन; मर्ग़ : देहांत; शराफ़त : शिष्टता; उस्तादो-वाल्दैन : गुरुजन एवं माता-पिता; ख़ू : चारित्रिक गुण, विशिष्टताएं; सदाक़त : सत्यता; बुलबुल : कोयल; सय्याद: बहेलिया; बग़ावत: विद्रोह; रिज़्वां: रिज़्वान, मिथक के अनुसार स्वर्ग (जन्नत) के उद्यान का रक्षक; मालिकान: स्वामी-वर्ग, यहां आशय ईश्वर तथा देवता-गण; हिफ़ाज़त:सुरक्षा; सुजूद: आपाद-मस्तक प्रणाम, सज्दे का बहुव.; अफ़सोस: खेद; आसमां: आकाश, परलोक, ईश्वर; इनायत: कृपा ।
इतने हसीन हैं कि अदावत न हो सकी
पैग़ाम शैख़ को तो मुलाक़ात रिंद से
हमसे तो इस तरह की सियासत न हो सकी
दे आएं मेरे मर्ग़ की उनको ख़बर ज़रा
इतनी भी दोस्तों से शराफ़त न हो सकी
उस्तादो-वाल्दैन भी समझा के थक गए
शामिल तुम्हारी ख़ू में सदाक़त न हो सकी
बुलबुल उदास है कि हवाएं मुकर गईं
सय्याद के ख़िलाफ़ बग़ावत न हो सकी
रिज़्वां ! तेरा यक़ीन नहीं मालिकान को
तुझसे तो तितलियों की हिफ़ाज़त न हो सकी
हमने हज़ार साल गुज़ारे सुजूद में
अफ़सोस ! आसमां से इनायत न हो सकी !
(2015)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: हसीन: सुदर्शन; अदावत: शत्रुता; पैग़ाम:संदेश; शैख़ : धर्म-भीरु, मदिरा-विरोधी; रिंद: मद्य-प्रेमी; सियासत: कूटनीति, दोहरापन; मर्ग़ : देहांत; शराफ़त : शिष्टता; उस्तादो-वाल्दैन : गुरुजन एवं माता-पिता; ख़ू : चारित्रिक गुण, विशिष्टताएं; सदाक़त : सत्यता; बुलबुल : कोयल; सय्याद: बहेलिया; बग़ावत: विद्रोह; रिज़्वां: रिज़्वान, मिथक के अनुसार स्वर्ग (जन्नत) के उद्यान का रक्षक; मालिकान: स्वामी-वर्ग, यहां आशय ईश्वर तथा देवता-गण; हिफ़ाज़त:सुरक्षा; सुजूद: आपाद-मस्तक प्रणाम, सज्दे का बहुव.; अफ़सोस: खेद; आसमां: आकाश, परलोक, ईश्वर; इनायत: कृपा ।
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