जहां हमने उमीदों की शम्.अ दी
सितारों ने वहीं अपनी अना रख दी
कभी हम बेक़रारी में न सो पाए
सर्हाने पर बुज़ुर्गों ने दुआ रख दी
ख़ुदा ने आशिक़ों की बद्दुआ ले ली
फ़रिश्तों में अदा रख दी जफा रख दी
सफ़र में याद आएगी हमारी भी
सरो-सामान में हमने वफ़ा रख दी
मुदावा ये किया उसने सुफ़ैदी का
हमारे सामने दिल की दवा रख दी
तरक़्क़ी के सभी मा'ने बदल डाले
मिटा कर शाह ने आबो-हवा रख दी
बरहना हैं सरे-महफ़िल सभी रहबर
छुपा कर होशियारों ने हया रख दी !
(2015)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: उमीदों: आशाओं; शम्.अ: दीपिका; सितारों: ग्रह-नक्षत्रों; अना: घमंड; बेक़रारी: व्याकुलता; सर्हाने: सिरहाने, सिर की ओर; बुज़ुर्गो: पूर्वजों; आशिक़ों: प्रेमियों; बद्दुआ: अ-शुभकामना; फ़रिश्तों: परियों; अदा: भाव-भंगिमा; जफा: निष्ठाहीनता; सरो-सामान: आवश्यक सामग्री; वफ़ा: निष्ठा; मुदावा : उपचार; सुफ़ैदी: केशों की शुभ्रता, वृद्धावस्था; तरक़्क़ी: प्रगति, विकास; मा'ने: अर्थ, संदर्भ; आबो-हवा: पर्यावरण, बरहना: निर्वस्त्र; सरे-महफ़िल: भरी सभा में, रहबर: मार्गदर्शक, नेता गण; होशियारों: चतुर-सुजानों; हया: लज्जा ।
सितारों ने वहीं अपनी अना रख दी
कभी हम बेक़रारी में न सो पाए
सर्हाने पर बुज़ुर्गों ने दुआ रख दी
ख़ुदा ने आशिक़ों की बद्दुआ ले ली
फ़रिश्तों में अदा रख दी जफा रख दी
सफ़र में याद आएगी हमारी भी
सरो-सामान में हमने वफ़ा रख दी
मुदावा ये किया उसने सुफ़ैदी का
हमारे सामने दिल की दवा रख दी
तरक़्क़ी के सभी मा'ने बदल डाले
मिटा कर शाह ने आबो-हवा रख दी
बरहना हैं सरे-महफ़िल सभी रहबर
छुपा कर होशियारों ने हया रख दी !
(2015)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: उमीदों: आशाओं; शम्.अ: दीपिका; सितारों: ग्रह-नक्षत्रों; अना: घमंड; बेक़रारी: व्याकुलता; सर्हाने: सिरहाने, सिर की ओर; बुज़ुर्गो: पूर्वजों; आशिक़ों: प्रेमियों; बद्दुआ: अ-शुभकामना; फ़रिश्तों: परियों; अदा: भाव-भंगिमा; जफा: निष्ठाहीनता; सरो-सामान: आवश्यक सामग्री; वफ़ा: निष्ठा; मुदावा : उपचार; सुफ़ैदी: केशों की शुभ्रता, वृद्धावस्था; तरक़्क़ी: प्रगति, विकास; मा'ने: अर्थ, संदर्भ; आबो-हवा: पर्यावरण, बरहना: निर्वस्त्र; सरे-महफ़िल: भरी सभा में, रहबर: मार्गदर्शक, नेता गण; होशियारों: चतुर-सुजानों; हया: लज्जा ।
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