शहर के इरादे ग़लत तो नहीं हैं ?
कहीं इश्क़ज़ादे ग़लत तो नहीं हैं ?
बयाज़े-नज़र में बयां कुछ नहीं है
ये: सफ़हात सादे ग़लत तो नहीं हैं ?
यक़ीं है हमें पर तसल्ली नहीं है
ये: पुरज़ोर वादे ग़लत तो नहीं हैं ?
दिए जा रहे हैं जहां को नसीहत
ये: भगवा लबादे ग़लत तो नहीं हैं ?
जहां शाह कह दे वहीं जान दे दें
ये: मजबूर प्यादे ग़लत तो नहीं हैं ?
(2015)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: इरादे: मंतव्य; इश्क़ज़ादे: प्रेम-संतान (व्यंगार्थ); बयाज़े-नज़र: दृष्टि-दैनंदिनी; बयां: वक्तव्य; सफ़हात: पृष्ठ (बहुव.); यक़ीं: विश्वास; तसल्ली: आश्वस्ति; पुरज़ोर: बलीकृत; नसीहत: उपदेश, शिक्षा; लबादे: लंबे वस्त्र; मजबूर: विवश; प्यादे: पैदल सैनिक ।
कहीं इश्क़ज़ादे ग़लत तो नहीं हैं ?
बयाज़े-नज़र में बयां कुछ नहीं है
ये: सफ़हात सादे ग़लत तो नहीं हैं ?
यक़ीं है हमें पर तसल्ली नहीं है
ये: पुरज़ोर वादे ग़लत तो नहीं हैं ?
दिए जा रहे हैं जहां को नसीहत
ये: भगवा लबादे ग़लत तो नहीं हैं ?
जहां शाह कह दे वहीं जान दे दें
ये: मजबूर प्यादे ग़लत तो नहीं हैं ?
(2015)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: इरादे: मंतव्य; इश्क़ज़ादे: प्रेम-संतान (व्यंगार्थ); बयाज़े-नज़र: दृष्टि-दैनंदिनी; बयां: वक्तव्य; सफ़हात: पृष्ठ (बहुव.); यक़ीं: विश्वास; तसल्ली: आश्वस्ति; पुरज़ोर: बलीकृत; नसीहत: उपदेश, शिक्षा; लबादे: लंबे वस्त्र; मजबूर: विवश; प्यादे: पैदल सैनिक ।
सार्थक प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (03-01-2015) को "नया साल कुछ नये सवाल" (चर्चा-1847) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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नव वर्ष-2015 आपके जीवन में
ढेर सारी खुशियों के लेकर आये
इसी कामना के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत बढ़िया..इरादों की बात
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