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सोमवार, 29 सितंबर 2014

करिश्मा-ए-क़ातिल...

आप  दिल  में  रहें,  दिल  रहे  न  रहे
दर्द  सहने   के   क़ाबिल  रहे  न  रहे

आज  हालात  अपने  मुआफ़िक़  नहीं
कल  मगर  कोई  मुश्किल  रहे  न  रहे

हम  मुसाफ़िर,  सफ़र  है  हमारी  अना
सामने  राहो-मंज़िल  रहे  न  रहे

रक़्स  करते  हुए  होश  क़ायम  रहें
फिर  यही  रंगे-महफ़िल  रहे  न  रहे

हम  समंदर  हदों  से  गुज़र  जाएं  तो
नामे-दरिय:-ओ-साहिल  रहे  न  रहे

आप  तैयारियां  कीजिए  कूच  की
कल  करिश्मा-ए-क़ातिल  रहे  न  रहे

जीत  लेंगे  शबे-तार  को  आप  हम
शम्ए-माह  शामिल  रहे  न  रहे  !

                                                                       (2014)

                                                                 -सुरेश  स्वप्निल

शब्दार्थ: क़ाबिल:योग्य; हालात: अवस्था; मुआफ़िक़: अनुकूल; अना: प्रयास; राहो-मंज़िल: मार्ग एवं लक्ष्य; रक़्स: नृत्य; होश: चेतना; क़ायम: स्थिर; रंगे-महफ़िल: सभा का वातावरण; नामे-दरिय:-ओ-साहिल: नदी और तट का नाम; कूच: धावा; करिश्मा-ए-क़ातिल: हत्यारे का चिह्न; शबे-तार: अमावस्या; शम्ए-माह: चंद्रमा-रूपी दीपिका। 

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