दोस्तों को सताना बुरी बात है
ख़्वाब में रूठ जाना बुरी बात है !
भूलना एक वादा अलग बात है
आए दिन ये बहाना बुरी बात है
हम शरारत से तुमको नहीं रोकते
हां, मगर दिल जलाना बुरी बात है
दोस्तों से कहो, कुछ मुदावा करें
दर्द दिल में बसाना बुरी बात है
पुख़्तगी-ए-अहद चाहिए इश्क़ को
राह में लड़खड़ाना बुरी बात है
शाह का फ़र्ज़ है मुल्क की बेहतरी
नफ़रतों को बढ़ाना बुरी बात है
हक़परस्तों, उठो ! सरकशी के लिए
ज़ुल्म पर सर झुकाना बुरी बात है !
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: मुदावा: उपचार; पुख़्तगी-ए-अहद: संकल्प की दृढ़ता; हक़परस्तों:न्याय-समर्थकों; सरकशी: विद्रोह।
ख़्वाब में रूठ जाना बुरी बात है !
भूलना एक वादा अलग बात है
आए दिन ये बहाना बुरी बात है
हम शरारत से तुमको नहीं रोकते
हां, मगर दिल जलाना बुरी बात है
दोस्तों से कहो, कुछ मुदावा करें
दर्द दिल में बसाना बुरी बात है
पुख़्तगी-ए-अहद चाहिए इश्क़ को
राह में लड़खड़ाना बुरी बात है
शाह का फ़र्ज़ है मुल्क की बेहतरी
नफ़रतों को बढ़ाना बुरी बात है
हक़परस्तों, उठो ! सरकशी के लिए
ज़ुल्म पर सर झुकाना बुरी बात है !
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: मुदावा: उपचार; पुख़्तगी-ए-अहद: संकल्प की दृढ़ता; हक़परस्तों:न्याय-समर्थकों; सरकशी: विद्रोह।
आपकी इस रचना का लिंक दिनांकः 25 . 8 . 2014 दिन सोमवार को I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ पर दिया गया है , कृपया पधारें धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंहम शरारत से तुमको नहीं रोकते
जवाब देंहटाएंहां, मगर दिल जलाना बुरी बात है
---भाई सुरेश स्वप्निल जी आपकी की ग़ज़ल बहुत अच्छी होती है।बधाई