दुनिया ख़राब है न ज़माना ख़राब है
दिल ही मिरे हुज़ूर का ख़ानाख़राब है
कहिए कि आप इश्क़ के हक़दार ही नहीं
मस्रूफ़ियत का रोज़ बहाना ख़राब है
ये हुस्ने-बेमिसाल मुबारक तुम्हें मगर
दिल पर किसी के तीर चलाना ख़राब है
ग़म ये नहीं कि आपके दिल में जगह नहीं
लेकिन हमें ख़राब बताना ख़राब है
दिल है, इसे सराय समझिए न ऐ हुज़ूर
हर एक को मेहमान बनाना ख़राब है
बेशक़, नए निज़ाम की नीयत ख़राब है
लेकिन फ़जूल जान जलाना ख़राब है
हिम्मत है तो ज़मीर से नज़्रें मिलाइए
करके गुनाह जश्न मनाना ख़राब है !
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: ख़ानाख़राब: इधर-उधर भटकने वाला; हक़दार: अधिकारी; मस्रूफ़ियत: व्यस्तता; हुस्ने-बेमिसाल: विलक्षण सौंदर्य;
सराय: यात्रियों के रुकने की जगह, धर्मशाला; निज़ाम: सरकार,प्रशासन; फ़जूल: व्यर्थ: ज़मीर: विवेक; नज़्रें: दृष्टि; जश्न: उत्सव।
दिल ही मिरे हुज़ूर का ख़ानाख़राब है
कहिए कि आप इश्क़ के हक़दार ही नहीं
मस्रूफ़ियत का रोज़ बहाना ख़राब है
ये हुस्ने-बेमिसाल मुबारक तुम्हें मगर
दिल पर किसी के तीर चलाना ख़राब है
ग़म ये नहीं कि आपके दिल में जगह नहीं
लेकिन हमें ख़राब बताना ख़राब है
दिल है, इसे सराय समझिए न ऐ हुज़ूर
हर एक को मेहमान बनाना ख़राब है
बेशक़, नए निज़ाम की नीयत ख़राब है
लेकिन फ़जूल जान जलाना ख़राब है
हिम्मत है तो ज़मीर से नज़्रें मिलाइए
करके गुनाह जश्न मनाना ख़राब है !
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
शब्दार्थ: ख़ानाख़राब: इधर-उधर भटकने वाला; हक़दार: अधिकारी; मस्रूफ़ियत: व्यस्तता; हुस्ने-बेमिसाल: विलक्षण सौंदर्य;
सराय: यात्रियों के रुकने की जगह, धर्मशाला; निज़ाम: सरकार,प्रशासन; फ़जूल: व्यर्थ: ज़मीर: विवेक; नज़्रें: दृष्टि; जश्न: उत्सव।
बहुत सुंदर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंइस पोस्ट की चर्चा, रविवार, दिनांक :- 31/08/2014 को "कौवे की मौत पर"चर्चा मंच:1722 पर.
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंदिल है, इसे सराय समझिए न ऐ हुज़ूर
हर एक को मेहमान बनाना ख़राब है
सुंदर--नुक्ता-चीनी
जवाब देंहटाएंहिम्मत है तो ज़मीर से नज़्रें मिलाइए
जवाब देंहटाएंकरके गुनाह जश्न मनाना ख़राब है !
वाह लाजबाब
Bahut sundar
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